- दशहरे पर श्रीराम जी के पूरे परिवार और उनकी सेना की भी पूजा करें
- दशहरे पर शस्त्र पूजन के साथ ही तीन देवियों की पूजा भी की जाती है
- दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व होता है
दशहरा इस बार 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस बार दशहरे का महत्व अधिक इसलिए है क्योंकि इस बार गुरु और शनि अपनी ही राशि में गोचर करेंगे। वहीं कई और ग्रह भी अपनी मित्र राशि में सहचर करेंगे। ऐसे में दशहरे पर पूजा का कई गुना फल प्राप्त होगा। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा मनाया जाता है। दशहरे के दिन ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। इसलिए इस दिन को बुराई पर सच्चाई की जीत का माना जाता है। दशहरे पर भगवान श्रीराम के परिवार समेत पूजा करने के साथ ही शस्त्र पूजा और तीन प्रमुख देवियों की पूजा का भी विधान होता है। तो आइए जानें दशहरें का शुभ मुर्हूत क्या और इस दिन कैसे पूजा करनी चाहिए।
दशहरे का शुभ मुहूर्त (Dussehra ka shubh muhurt) दशमी तिथि प्रारंभ – 25 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 41 मिनट से विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 40 तक अपराह्न पूजा मुहूर्त – 01 बजकर 11 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक दशमी तिथि समाप्त – 26 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगी
दशहरे की पूजा विधि (Dussehra Puja Vidhi)
दशहरे के दिन भगवान श्रीराम की परिवार व उनकी सेना समेत विधिवत पूजा करें। पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और प्रसाद का भोग लगा कर प्रभु को प्रणाम करें। इसके बाद इस दिन शस्त्र पूजा का भी विधान होता है। इसलिए जो भी शस्त्र आपके हों, उसे प्रभु के समक्ष रख कर उनकी पूजा करें। पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछा दें और सभी शस्त्रों पर गंगाजल छिड़कर हल्दी और कुमकुम का तिलक लगांए और पुष्प अर्पित कर शमी के पत्ते शस्त्रों पर चढ़ा दें। इसके बाद शस्त्रों को प्रणाम करें और भगवान श्री राम का ध्यान करें और शमी के पेड़ की पूजा अवश्य करें।
इन तीन देवियों की जरूर करें पूजा
दशहरे के दिन बुद्धि की देवी सरस्वती की पूजा, धन की देवी लक्ष्मी और दिव्य स्वरूप में मां पार्वती की पूजा की जाती है। बंगाल में इस दिन देवी काली की पूजा का भी विधान है।
भगवान राम की आरती (Lord Rama Aarti)
आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥
दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥
चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥
पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥
दशहरे के दिन भगवान श्रीराम, सीता मईया, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की पूजा जरूर करनी चाहिए।