- अक्टूबर मास की शुरुआत व अंत पूर्णिमा व्रत से होगा
- अधिक मास की वजह नवरात्र में देरी, 17 से होंगे शुरू
- 25 अक्तूबर को मनाया जाएगा दशहरा
Hindu Calendar October 2020 : अक्टूबर 2020 में कई महत्वपूर्ण व्रत व त्योहार आ रहे हैं। अधिक मास यानी मलमास अक्तूबर के मध्य में खत्म होगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू होंगे। बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व यानी दशहरा भी अक्तूबर 2020 की 25 तारीख को मनाया जाएगा।
अक्तूबर 2020 महीने की शुरुआत अधिक माास के पूर्णिमा व्रत से हो रही है। भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित इस मास के पूर्णिमा व्रत को रखने से श्री हरि कीअसीम कृपा प्राप्त होती है। इस मास का संयोग ये है कि इसका समापन भी पूर्णिमा व्रत के साथ होगा। 31 अक्तूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी।
वहीं भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो 14 अक्तूबर को प्रदोष व्रत रखें। इस तारीख को कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इससे अगले ही दिन यानी 15 तारीख को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी।
अक्तूबर 2020 के व्रत-त्योहार (October 2020 vrat and festivals List)
1 अक्तूबर, गुरुवार - पूर्णिमा व्रत
5 अक्तूबर, सोमवार - संकष्टी चतुर्थी
13 अक्तूबर, मंगलवार - परम एकादशी
14 अक्तूबर, बुधवार - प्रदोष व्रत (कृष्ण)
15 अक्तूबर, गुरुवार मासिक - शिवरात्रि
16 अक्तूबर, शुक्रवार - आश्विन अधिक अमावस्या
17 अक्तूबर, शनिवार - शरद नवरात्रि, तुला संक्रांति, घटस्थापना
21 अक्तूबर, बुधवार - कल्परम्भ
22 अक्तूबर, गुरुवार - नवपत्रिका पूजा
24 अक्तूबर, शनिवार- दुर्गा, महा नवमी पूजा, दुर्गा महा अष्टमी पूजा
25 अक्तूबर, रविवार दशहरा, शरद नवरात्रि पारणा
26 अक्तूबर, सोमवार - दुर्गा विसर्जन
27 अक्तूबर, मंगलवार - पापांकुशा एकादशी
28 अक्तूबर, बुधवार - प्रदोष व्रत (शुक्ल)
31 अक्तूबर, शनिवार - अश्विन पूर्णिमा व्रत, शरद पूर्णिमा
अक्तूबर 2020 में आएंगे ये एकादशी व्रत
अक्तूबर महीने में दो एकादशी व्रत रखे जाएंगे। 13 अक्तूबर यानी मंगलवार को परम एकादशी का व्रत है। वहीं 27 अक्तूबर यानी महीने के अंतिम मंगलवार को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत की बड़ी महिमा बताई जाती है। मान्यता है कि इनको रखने मात्र से ही समस्त पाप दूर हो जाते हैं।
31 अक्तूबर को है शरद पूर्णिमा
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इसी रात ही श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। ये भी माना जाता है कि इस रात को चंद्रमा की रोशनी से अमृत बरसता है। इस पू्र्णिमा पर खासतौर पर खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखने की परंपरा है। इस व्रत को लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने वाला व्रत भी माना जाता है।