- विजय दशमी पर निभाई जाती हैं कई पौराणिक परंपराएं।
- रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाने की है परंपरा।
- बुराई पर अच्छाई की जीत से जुड़ी है यह परंपरा।
Dussehra Rituals To Perform: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा या विजय दशमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष विजय दशमी या दशहरा का पर्व 15 अक्टूबर शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। सनातन धर्म में विजय दशमी या दशहरा का पर्व बहुत विशेष माना गया है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का संहार किया था। वहीं, भगवान श्रीराम ने इसे दिन लंका पर विजय प्राप्त किया था। हिंदू संस्कृति में दशहरा पर कई परंपराएं निभाई जाती हैं। लोग इन परंपराओं को बढ़-चढ़कर निभाते हैं। इन्हीं में से एक है पान का बीड़ा खाने की परंपरा। रावण दहन के बाद पान के बेड़े को हनुमानजी को अर्पित किया जाता है उसके बाद लोग इसका सेवन करते हैं। यहां जानिए दशहरा पर यह परंपरा क्यों निभाई जाती है।
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प्रेम और जीत का प्रतीक है पान
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक पान प्रेम और जीत का प्रतीक है। इसके साथ बीड़ा शब्द का अर्थ बुराई पर अच्छाई की जीत ही होता है। इसीलिए दशहरा पर रावण दहन के बाद पान खाया जाता है।
पान खाकर खुशियां मनाते हैं लोग
रावण दहन के बाद भगवान हनुमान को पान का बीड़ा चढ़ाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान हनुमान को पान अर्पित करने से उनका आशीर्वाद मिलता है। जिसके बाद लोग खुशियां मनाने के लिए इसे खाते हैं।
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स्वास्थ्य के लिए उत्तम है पान
दशहरा पर्व के बाद से मौसम में कुछ बदलाव आने लगते हैं। यह बदलाव मानव स्वास्थ्य के लिए सही नहीं हैं क्योंकि इस पर्व के बाद से संक्रामक बीमारियां बढ़ जाती हैं। ऐसे में पान का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना गया है।
पाचन क्रिया के लिए प्रभावशाली है पान
जो लोग नवरात्रि का व्रत रखते हैं उन्हें दशहरा पर पान का बीड़ा जरूर खाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि 9 दिन तक उपवास करने से पाचन क्रिया पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में अच्छी पाचन क्रिया के लिए और खाने को जल्दी पचाने के लिए पान का सेवन करना लाभदायक है।