- बुधवार को ईद के चांद का दीदार नहीं हुआ
- भारत में 14 मई को मनाई जाएगी ईद
- गुरुवार को खत्म हो रहा है रमजान का महीना
नई दिल्ली: दिल्ली समेत देश में कहीं भी ईद का चांद नजर नहीं आया। बुधवार को ईद का चांद नजर नहीं आया इसलिए ईद-उल-फितर का त्यौहार शुक्रवार को मनाया जाएगा यानी गुरुवार 13 मई को 30वां और रमजान महीने का आखिरी रोज़ा होगा। रमजान का महीना खत्म होने पर मनाई जाने वाली ईद-उल-फितर इस बार 14 मई को मनाई जाएगी।
14 मई को होगी भारत में ईद
फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम ने बताया कि दिल्ली समेत देश के किसी भी हिस्सों में ईद का चांद नज़र नहीं आया है, इसलिए ईद का त्यौहार शुक्रवार 14 मई को मनाया जाएगा।गुरुवार को 30वां रोज़ा होगा और शव्वाल (इस्लामी कलेंडर का 10वां माह) की पहली तारीख शुक्रवार को होगी। हालांकि चांद का दीदार आज ना भी हुआ तब भी ईद 14 मई को ही मनाई जाएगी।
13 मई को तीसवां और आखिरी रोजा
शव्वाल के महीने के पहले दिन ईद होती है। बुखारी ने कहा कि ईद 14 मई शुक्रवार के दिन होगी और मैं आपको ईद की मुबारकबाद पेश करता हूं। मुस्लिम संगठन इमारत ए शरिया ने भी ऐलान किया है कि बुधवार को दिल्ली व देश के किसी भी हिस्से से चांद दिखने की कोई खबर नहीं है और ईद 14 मई को होगी तथा बृहस्पतिवार को 30 वां और आखिरी रोज़ा होगा।
शाही इमाम की अपील
मुसलमानों के लिए अभी इस्लामी कलेंडर का नौवां महीना रमज़ान चल रहा है जिसमें समुदाय के लोग रोज़ा (व्रत) रखते हैं। रमज़ान के महीने में रोज़ेदार सुबह सूरज निकलने से पहले से लेकर सूरज डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते हैं। यह महीना ईद का चांद नजर आने के साथ खत्म होता है। इससे पहले जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी और चांदनी चौक स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने मुसलमानों से अपील की है कि जो लोग ईद के दिन मस्जिद में नमाज़ अदा न कर सकें वे घर में सुबह के वक्त चार रकात नमाज़ ‘नफील’ पढ़ें और फिर ‘तकबीर’ पढ़ें और अल्लाह से दुआ करें।
मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार ईद उल फितर रमजान के महीने के खत्म होने पर मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है। ईद के दिन सुबह की नमाज पढ़ इसकी शुरूआत हो जाती है। इस साल रमजान 13 अप्रैल से शुरू हुए थे इस लिहाज से गुरुवार 13 मई को 30वां और आखिरी रोजा है। ईद-उल-फितर में मीठे पकवान (खासतौर पर सेंवईंयां) बनती हैं। लोग आपस में गले मिलकर अपने गिले-शिकवों को दूर करते हैं। घर आए मेहमानों की विदाई कुछ उपहार देकर की जाती है। इस्लामिक धर्म का यह त्योहार भाईचारे का संदेश देता है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)