- शिवजी का ये मंदिर झारखंड के रामगढ़ में मौजूद है
- यहां बहने वाली जलधारा का किसी को स्रोत नहीं पता
- यहां देवी गंगा के हाथों से गिरती है शिवजी पर जलधारा
झारखंड के रामगढ़ में भगवान शंकर का एक बहुत ही प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर में भगवान का जलाभिषेक मां गंगा करती हैं। इस मंदिर को रहस्यमयी भी माना जाता है, क्योंकि यहां कई ऐसी घटनाएं होती हैं, जो ईश्वर की मौजूदगी का अहसास दिलाती हैं। माना जाता है कि भगवान शंकर इस मंदिर में देवी पार्वती के साथ रहते हैं और यही कारण है कि इस मंदिर में दैवीय शक्ति का अहसास होता है और यहां आने पर एक अलग सी अनुभूति होती है।
किसी का मन कितना भी विचलित क्यों न हो, यहां आकर उसका मन शांत हो जाता है। इस मंदिर की प्राचीतना और चमकत्कार के अलावा एक खास बात ये है कि यहां भगवान शिव जी पर निरंतर एक जलधारा टपकती रहती है। तो आइए जानें कि इस मंदिर का ये रहस्य है क्या?
ब्रिटिशकाल में अंग्रेज भी दर्शन को आते थे
ब्रिटिश शासन के दौरान जब अंग्रेजों को जब मंदिर के चमत्कार के बारे में पता चला तो वह भी मंदिर में भगवान के दर्शन को आते थे। मान्यता है कि चमत्कार और रहस्य को देख कर कई अंग्रेज भगवान भी चकित रह गए थे और उनके अंदर भी आस्था की किरण जगी थी।
रामगढ़ का ये मंदिर टूटी झरना मंदिर के नाम से है प्रसिद्ध (Tuti Jharna Mandir Bongabar, Jharkhand)
श्रद्धालुओं के अनुसार इस मंदिर के कण-कण में शिवजी मां पार्वती के साथ समाए हैं। यहां आने के बाद शायद ही कोई हो जिसके अंदर को अनुभूति महसूस न हो। हर किसी को यहां अपनी समस्या का समाधान मिलता है। श्रद्धालुओं में शिव के प्रति श्रद्धा और विश्वास यहां आकर और बढ़ता है। इस मंदिर को टूटी झरना मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
अविरल बहती है यहां पर धारा
मंदिर की खासियत है कि यहां दिनभर एक जलस्रोत से जल की धारा निरंतर प्रवाहित होती रहती है। खास बात ये है कि ये जलधारा सीधे शिवजी के ऊपर ही गिरती है। ये जलधारा सदियों से बहती आ रही है और यहां का जल कभी गिरना बंद नहीं होता। खास बात ये है कि ये जलधारा कहां से आती हैं, इसके स्रोत का पता किसी को नहीं है और यही इस मंदिर का गहरा रहस्य है।
देवी गंगा के हाथों से हो कर गिरती है जलधारा
भगवान शिव हर ग्रह-नक्षत्र और समस्त पंचभूतों को नियंत्रित करते हैं और जलधारा पर भी शिवजी का ही नियंत्रण यहां नजर आता है। मां गंगा की यहां एक प्रतिमा भी है और उस प्रतिमा के हाथ से ही ये जलधारा सीधे शिवजी पर जाती है। यही कारण है कि लोग कहते हैं कि यहां देवी गंगा भगवान शिव का जलाभिषेक करती हैं। जलधारा का मूल स्रोत कहां है आज तक किसी को पता नहीं चल सका है।