- भगवान श्री गणेश का सिर कटने के बाद जोड़ा गया हाथी के बच्चे का सिर
- भगवान श्री गणेश का सिर कटने के बाद रखा गया गुफा के भीतर
- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर स्थित है यह गुफा
Lord Ganesha Birth Story : हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी कार्य के शुभारंभ से पहले भगवान श्री गणेश की आराधना वंदना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री गणेश की प्रथम आराधना के बिना कोई भी पूजा सफल नहीं हो सकती। ऐसे में सभी देवी देवताओं के पूजन से पहले भगवान श्री गणेश का पूजन किया जाता है। वही प्रथम पूज्य भगवान हैं। भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं इसीलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। भगवान श्री गणेश का नाम सामने आते ही लोगों के मन में कई कथाएं घूमने लगती हैं जिनमें से सबसे प्रचलित कथा भगवान श्री गणेश के सिर कटने से जुड़ी है। अक्सर हम सभी के मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर भगवान श्री गणेश का सिर क्यों कटा? उनका सिर हाथी का क्यों है? और सबसे महत्वपूर्ण बात कि यदि इन दोनों प्रश्नों के उत्तर मिल भी जाए तो उनका सिर कटने के बाद कहां गया? यह प्रश्न सभी के मन में कौतूहल पैदा करता है।
शिव पुराण के अनुसार इस कारण कटा भगवान श्री गणेश का सिर
शिव पुराण कथा के अनुसार, भगवान श्री गणेश का जन्म माता पार्वती के शरीर के मैल से माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से एक पिंड बनाकर उसमें आत्मा का प्रवेश करवाया। जिसके बाद वह पिंड सजीव हो उठा और यह यह पिंड सजीव बालक के रूप में सामने आया।
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शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती स्नान करने के लिए जब गुफा के अंदर जा रही थी तो उन्होंने इस नन्हे बालक को आदेश दिया कि गुफा के अंदर किसी को भी प्रवेश ना दिया जाए। माता पार्वती के गुफा के भीतर जाते ही भगवान शिव वहां पहुंच जाते हैं। मां की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने भगवान शिव को भी गुफा के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया जिस पर भगवान शिव क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपने त्रिशूल से भगवान श्री गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। सिर कटते ही माता पार्वती की चीख-पुकार और विलाप से पूरी सृष्टि कम्पायमान हो उठी। हर तरफ त्राहि-त्राहि मच गई जिसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए एक नन्हे हाथी का सिर भगवान गणेश के धड़ से जोड़ दिया। तभी से भगवान श्री गणेश का सिर हाथी और धड़ बालक का बना है और इसी स्वरूप में हम भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करते हैं।
भगवान श्री गणेश का सिर कटने के बाद इस जगह गिरा
भगवान श्री गणेश का सिर कटने के बाद एक गुफा में रखा गया। मान्यता है कि भगवान शिव ने गणेश जी के सिर को सुरक्षित एक गुफा में रख दिया था। जिसे पाताल भुवनेश्वर गुफा के नाम से जाना जाता है। इस गुफा में भगवान श्री गणेश की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। भगवान श्री गणेश जी की गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी।
इस प्रदेश में है भगवान श्री गणेश के वास्तविक सिर की गुफा
उत्तर प्रदेश के अलग होकर बने नए राज्य उत्तराखंड की एक गुफा को ही पाताल भुवनेश्वर गुफा के नाम से जाना जाता है। इसी गुफा में भगवान श्री गणेश की वास्तविक प्रतिमा स्थापित है। मान्यता है कि भगवान शिव ने श्री गणेश जी का सिर काटने के बाद इसी गुफा में स्थापित किया था। यह गुफा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर स्थित है।
मान्यता है कि इस गुफा के भीतर स्थापित भगवान श्री गणेश के वास्तविक सिर की रक्षा स्वयं त्रिकालदर्शी भगवान शिव करते हैं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्सह नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)