- भारत में नहीं दिखाई देगा साल का पहला सूर्य ग्रहण
- सूर्य ग्रहण के दिन पड़ रही है शनिश्चरी अमावस्या
- खगोलीय और ज्योतिष दृष्टिकोण में ग्रहण का अलग महत्व
Surya Grahan 2022: ग्रहण का लगना खगोलीय और ज्योतिष दोनों ही दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू धर्म में ग्रहण का काफी महत्व होता है और ग्रहण के दौरान कई नियमों का पालन भी करना पड़ता है। हर साल की तरह इस साल 2022 में भी कई ग्रहण लगेंगे। लेकिन साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण शनिवार 30 अप्रैल को लगने जा रहा है। खास बात यह है कि इसी दिन शनिश्चरी अमावस्या भी पड़ रही है। इसलिए ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि, क्या इस दिन धार्मिक कार्य किए जा सकेंगे या इस पर मनाही होगी।
ग्रहण का ज्योतिष और खगोलीय प्रभाव
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण की घटना को अशुभ माना जाता है। वहीं ग्रहण का शुभ-अशुभ प्रभाव सभी राशियों पर भी पड़ता है। लेकिन खगोलीय जानकारों की मानें तो, जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है तो उस दौरान सूर्य की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती हैं और तब सूर्य ग्रहण होता है।
भारत में नहीं दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
30 अप्रैल को लगने वाले साल के पहले सूर्य ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इसलिए यहां इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा और सारी धार्मिक क्रियाएं पूजा-पाठ आदि किए जा सकेंगे। क्योंकि यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा और ज्योतिष के अनुसार पूर्ण ग्रहण होने पर ही सूतक काल की स्थिति प्रभावित होती है। बता दें कि पूर्ण सूर्य ग्रहण में ग्रहण से 12 घंटे पहले ही सूतक काल लग जाता है और इस दौरान पूजा पाठ करने की मनाही होती है। यहां तक कि मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते हैं।
कहां देखा जा सकेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण
30 अप्रैल को सूर्य ग्रहण रात 12:15 मिनट से शुरू होगा और सुबह 04:07 पर समाप्त हो जाएगा। ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 52 मिनट होगी। भारत में तो सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा लेकिन दक्षिण और पश्चिम दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, अटलांटिका और प्रशांत महासागर के क्षेत्रों में कई जगहों पर सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
बता दें कि, साल का पहला सूर्य ग्रहण जहां शनिवार 30 अप्रैल को लगेगा। वहीं साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को लगेगा। इस ग्रहण को भारत के कुछ जगहों पर देखा जा सकेगा और सूतक काल भी मान्य रहेगा।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)