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Ganesh Bhagwan Puja: नवग्रहों की पीड़ा से मुक्ति दिलाते हैं भगवान गणेश, ऐसे करें शांति के लिए पूजा

Updated Mar 15, 2021 | 19:40 IST

सनातन धर्म में भगवान श्री गणेश प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते हैं। भगवान गणेश की पूजा हमेशा सबसे पहले की जाती है। नव ग्रहों को शांत करने के लिए सबसे उत्तम उपाय भगवान गणेश की पूजा और उपासना माना जाता है।

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Lord Ganesh
मुख्य बातें
  • गणेश जी की उपासना करने से नवग्रह होते हैं शांत।
  • मान्यताओं के अनुसार नवग्रह से संबंध रखते हैं भगवान गणेश।
  • बुद्धि और विवेक के देवता भगवान श्री गणेश अपने भक्तों के हर एक विघ्न को करते हैं दूर।

नई दिल्ली. विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। भगवान श्री गणेश अपने भक्तों की हर एक परेशानी को दूर करते हैं और उनका जीवन सुखमय बनाते हैं। 

हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक भगवान श्री गणेश का वाहन मूषक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री गणेश गणों के स्वामी हैं इसलिए उन्हें गणपति कहा जाता है। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री गणेश प्रथमपूज्य देवता हैं। किसी भी देवता की पूजा करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान श्री गणेश को एकदंत, गजानन, विनायक, गजकर्णक, सुमुख, लंबोदर, कपिल, धूम्रकेतु, भालचंद्र आदि नामों से भी जाना जाता है। 

कहा जाता है कि अगर किसी इंसान के कुंडली में कोई ग्रह अशांत है तो भगवान श्री गणेश की आराधना करने से सारे ग्रह शांत हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान श्री गणेश हर एक ग्रहों से नाता रखते हैं। 

भगवान श्री गणेश और नवग्रहों से संबंध 
अथर्वशीर्ष के अनुसार, भगवान श्री गणेश सूर्य और चंद्र ग्रह के रूप में संबोधित हैं। भगवान श्री गणेश को सूर्य ग्रह से ज्यादा तेजस्वी माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान गणेश की रश्मि चंद्र ग्रह से भी ज्यादा शीतल है। 

धर्म शास्त्रों के मुताबिक भगवान श्री गणेश को शांतिपूर्ण प्रवृत्ति का माना गया है। भगवान श्री गणेश पृथ्वी से भी सीधा संबंध रखते हैं क्योंकि कहा जाता है कि पृथ्वी के पुत्र मंगल के अंदर भगवान गणेश के वजह से ही उत्साह का सृजन हुआ था। 

ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि भगवान श्री गणेश बुध ग्रह के अधिपति है क्योंकि भगवान श्री गणेश को बुद्धि और विवेक का देवता कहा गया है। इतना ही नहीं भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है और वह अपने भक्तों की हर एक परेशानियों को दूर करते हैं। 

हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि शुक्र ग्रह धन, पुत्र और ऐश्वर्य के संचालक है लेकिन भगवान श्री गणेश भी ऐश्वर्य, धन और पुत्र का वरदान देते हैं इसीलिए भगवान श्री गणेश को शुक्र से संबोधित किया जाता है। बृहस्पति ग्रह भी उनसे संतुष्ट रहता है।

शनि ग्रह भक्तों को न्याय देता है और उनके सभी कष्टों को हर लेता‌ है वैसे ही भगवान गणेश भी कर्मों के हिसाब से फल देते हैं और भक्तों के विघ्नों को हरते हैं इसीलिए भगवान गणेश की पूजा करने से शनि ग्रह भी शांत रहता है। 

भगवान गणेश का शरीर पुरुष व हाथी के शरीर से मिलकर बना है, इसलिए कहा जाता है कि भगवान गणेश के शरीर में राहु और केतु का निवास होता है। 

गणेश पूजन से लाभ
भगवान श्री गणेश नवग्रहों से सीधा संबंध रखते हैं इसीलिए नवग्रहों द्वारा संचालित क्षेत्र गणेश पूजन से सरल और फलदायक हो जाते हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से बुद्धि, विवेक, निरोग्य जीवन, प्रसिद्धि, सिद्धि, यश तथा संतान की प्राप्ति होती है। 

अगर कोई इंसान अपने कुंडली में ग्रहों को शांत करने के लिए हर एक उपाय करके देख चुका है और उससे कोई शुभ फल नहीं मिल रहा है तो ऐसे लोगों को भगवान गणेश की पूजा अवश्य करनी चाहिए। 
 

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