- इस साल गणेशोत्सव 2 सितंबर से 12 सितंबर तक मनाया जाएगा
- गणेश जी की अलग अलग रंग की मूर्तियां बिल्कुल अलग अलग परिणाम देती हैं
- हल्दी से तैयार या हल्दी का लेपन की हुई मूर्ति विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये शुभ मानी जाती हैं
Ganesh chaturthi festival: गणेश उत्सव का पावन पर्व 3 सितंबर पर से शुरू हो चुका है। यह बड़ा उत्सव भारत में काफी धूम- धाम के साथ मनाया जाता है। इस साल गणेशोत्सव 2 सितंबर से 12 सितंबर तक मनाया जाएगा। गणेश पूजन के लिये भक्त अपने घरों में बप्पा की रंग-बिरंगी खूबसूरत प्रतिमाएं स्थापित करते हैं। मगर क्या आपको पता है कि गणेश जी की अलग अलग रंग की मूर्तियां बिल्कुल अलग अलग परिणाम देती हैं।
कहने का मतलब है कि हर गणपति मूर्ति आपकी अलग अलग इच्छाओं की पूर्ति करती है। इसलिये गणेश की मूर्ति लाने से पहले कुछ जरूरी चीजों का ध्यान अवश्य रखें। यहां जानें इसकी पूरी जानकारी...
अलग अलग मूर्तियां देती हैं अलग तरह के परिणाम
- पीले या रक्त वर्ण की मूर्ति: इस तरह की मूर्ति सबसे शुभ मानी जाती है। माना जाता है कि इस तरह की गणपति मूर्ति जीवन की परेशानियां दूर करती है।
- नीले रंग की मर्ति: इस तरह के गणेश जी की मूर्ति को 'उच्छिष्ट गणपति' कहते हैं। ऐसा करने से शनि के प्रकोप से छुटकारा मिलता है।
- हल्दी से तैयार या हल्दी का लेपन की हुई मूर्ति: इसे हरिद्रा गणपति कहते हैं। यह आपकी विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये शुभ मानी जाती हैं।
- एकदंत गणपति: इस तरह के गणपति की पूजा से अदभुत पराक्रम की प्राप्ति होती है।
- सफेद रंग के गणपति: इस तरह की मूर्ति स्थापित करने से शादीशुदा जीवन खुशियों से भरा जाता है।
- चार भुजाओं वाले गणपति- इनकी उपासना से संकटों का नाश होता है।
- दस भुजाओं वाले गणपति- इस तहर के गणपति को 'महागणपति' कहते हैं। माना जाता है कि इनके भीतर समस्त गणपति का समावेश होता है।
पूजा स्थल
गणपति को विराजमान करने के लिये पहले कुमकुम से स्वास्तिक बनाना चाहिये। चार हल्दी की बंद लगाएं। एक मुट्ठी अक्षत रखें। इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटरा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं। रंगोली, फूल, आम के पत्ते और अन्य सामग्री से स्थान को सजाएं। तांबे का कलश पानी भर कर, आम के पत्ते और नारियल के साथ सजाएं। यह तैयारी गणेश उत्सव के पहले कर लें।
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