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श‍िव लगाते हैं शरीर पर भस्‍म, जानें क्‍या है इस रूप का राज

Updated Nov 20, 2017 | 09:11 IST | Medha Chawla

भगवान श‍िव के बारे में अक्‍सर बताया जाता है कि वे अपने शरीर पर भस्‍म लगाते हैं। इसकी वजह जुड़ी है सति के प्रति उनके प्रेम से। जानें पूरी कहानी...

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
माना जाता है भगवान श‍िव शरीर पर चिता की राख लगाते हैं

नई द‍िल्‍ली: हिंदू कथाओं में कई जगहों पर श‍िव के रूप का वर्णन करते हुए कहा गया है कि भगवान अपने शरीर पर भस्‍म लगाते हैं। यूं तो गले में नाग, तीसरी आंख समेत उनके रूप के कई रहस्‍य हैं। लेकिन शरीर पर भस्‍म धारण करना भक्‍तों को बेहद चौंकाता है। 

बताया जाता है कि जो भगवान श‍िव जो भस्‍म अपने शरीर पर लगाते हैं, वह किसी धातु या लकड़ी को जलाकर बची हुई राख नहीं होती। बल्कि यह भस्‍म जली हुई चिताओं के बाद बची हुई राख होती है। 

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सती के प्रति प्रेत का प्रतीक 
भस्म और भगवान शिव का रिश्ता सती के प्रति उनके प्रेम से भी जुड़ा है। बताया जाता है कि सती के आग में कूद कर जान देने की खबर जब श‍िव जी के मिली तो वह बेहद क्रोध‍ित हो गए और उनके शव को लेकर भटकने लगे। उनको इस हाल में देखकर विष्‍णु जी ने सती के मृत शरीर को भस्म में बदल दिया। पत्‍नी वियोग में तड़प रहे श‍िव ने इस भस्‍म को अपने तन पर लगा लिया, ताकि इन कणों के जरिए सती हमेशा उनके साथ ही रहें।

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श‍िव हैं संहारक, अंत दिखाने वाले हैं
हिन्दू मान्यताओं में ब्रह्माजी को सृष्टि का रचयिता कहा गया है वहीं विष्णुजी को पालनहार बताया गया है। शिवजी संसार को नष्ट करने वाले हैं, इसलिए माना जाता है कि वे हमेशा श्मशान में बैठकर मृत्यु का इंतजार करते हैं।

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कहते हैं, मरने के बाद मृत व्यक्ति को जलाने के पश्चात बची हुई राख में उसके जीवन का कोई कण शेष नहीं रहता। ना उसके दुख, ना सुख, ना कोई बुराई और ना ही उसकी कोई अच्छाई बचती है।

इसी भस्‍म को शरीर पर लगाकर भगवान शिव खुद को मृत आत्मा से जोड़ते हैं। ऐसी राख को भगवान शिव अपने तन पर लगाकर सम्मानित करते हैं जिसमें किसी प्रकार का गुण-अवगुण नहीं रहता। 

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