- होली भाई दूज बहन के अटूट प्रेम और अनन्य सौहार्द का प्रतीक है।
- इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा अर्चना के बाद यमदेव की पूजा करनी चाहिए।
- ध्यान रहे बिना व्रत कथा का पाठ किए कोई भी व्रत संपूर्ण नहीं माना जाता।
Holi Bhai Dooj Vrat Katha in Hindi: प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। यह भाई बहन के अटूट प्रेम और अनन्य सौहार्द का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाईयों को तिलक कर उनके सुखद एवं निरोगी जीवन की कामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है और उपहार भेंट करता है। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो भाई दूज वाले दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर जाते हैं, उन्होंने यमुना को वचन दिया था कि भाई दूज के दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर दाकर तिलक लगवाकर भोजन ग्रहण करेगा, उसे नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलेगी और यम का भय नहीं होगा।
मान्यता है कि इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा अर्चना के बाद यमदेव की पूजा करनी चाहिए। तथा व्रत कथा का पाठ करना चाहिए, बिना व्रत कथा का पाठ और आरती किए होली भाई दूज की पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती। ऐसे में यहां आप होली भाई दूज की कथा पढ़ सकते हैं।
होली भाई दूज व्रत कथा, Holi Bhai Dooj Vrat Kahani in Hindi
होली भाई दूज को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है। एक नगर में एक बुढ़िया रहती थी, बुढ़िया के दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी थी। बेटी की शादी हो चुकी थी, एक बार होली के बाद बेटे के मन में अचानक अपनी बहन से मिलने के ख्याल आया और उसने अपनी मां से बहन के यहां जाकर तिलक कराने का आग्रह किया। बेटे के लगातार आग्रह करने पर मां ने उसे अपनी बहन के यहां जाने की इजाजत दे दी। घर से निकलने के बाद रास्ते में एक नदी मिली, नदी ने कहा कि मैं तेरा काल हूं और इसमें पैर रखते ही तुम डूब जाओगे। इसे सुन वह भयभीत हो गया और उसने कहा कि मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं फिर मेरे प्रांण ले लेना।
इसके बाद जैसे ही वह थोड़ी आगे बढ़ा, जंगल में उसे एक खूंखार शेर मिला। उसने शेर से भी यही कहा। कुछ दूर चलने के बाद एक सांप ने उसके पैर को जकड़ लिया, बुढ़िया के बेटे ने सांप को भी यही बताया। इसके बाद वह अपनी बहन के घर जा पहुंचा, बहन ने भाई को देखते ही उसे अपने गले लगा लिया और तिलक लगाने के बाद बैठाकर भोजन करवाया। भोजन करते वक्त भाई को उदास देख बहन काफी दुखी हो जाती है और उससे उसके दुख का कारण पूछती है।
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यह सब जानने के बाद बहन भाई के साथ चलने के लिए तैयार हो जाती है। वह एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती, बहन काफी चिंतित होकर बुढ़िया को अपनी परेशानी बताती है। इसे सुन बुढ़िया कहती है कि यह सब तेरे पिछले जन्मों का कर्म है, जो तुम्हारे भाई को भुगतना पड़ रहा है। यदि तुम अपने भाई को बचाना चाहती हो तो उस पर आने वाले हर विपदा को टाल सकती हो।
बुढ़िया की बात सुन बहन भाई के साथ घर जाने के लिए तैयार हो गई। वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लेकर चल देती है। रास्ते में उसे शेर मिलता, शेर को देखते ही वह उसके सामने मांस डाल देती, फिर कुछ दूर चलते ही सांफ उसे देखकर फुंफकार रहा होता है, वह उसके सामने दूध रख देती है। वहीं लड़के को देख नदी की लहरें तेज हो जाती हैं, वह उसे ओढ़नी देती है। इस प्रकार बहन अपने भाई के ऊपर आने वाली हर विपदा को टाल देती है। इस दिन से प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की द्वितीया तिथि यानी होली के अगले दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
Disclaimer: यह पाठ्य सामाग्री इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों और आम धारणाओं पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।