- आज मनाया जा रहा है होलिका दहन का पर्व।
- बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है यह पर्व।
- भद्रकाल में नहीं करना चाहिए होलिका दहन।
Holi 2022 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri List: हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, होली से एक दिन पहले होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि होलिका दहन करने से नकारात्मक शक्ति का विनाश होता है और हर जगह सकारात्मकता बढ़ जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से मानसिक तनाव, धन हानि, अशांति, वैवाहिक जीवन में परेशानी समेत कई समस्याओं का निवारण हो जाता है। कहा जाता है कि होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन करने से सभी प्रकार के भय पर विजय की प्राप्ति होती है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का सूचक है।
Holi 2022 Date, Puja Vidhi, Muhurat
17 मार्च 2022,गुरुवार को छोटी होली यानी होलिका दहन का पावन पर्व है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं होलिका दहन करने के लिए किन सामग्रियों की आवश्यकता होती है और इसकी विधि।
Holika Dahan 2022 Time and Muhurat, होलिका दहन 2022 कब होगा
ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज केअनुसार, इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 01:29 बजे से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी। जबकि 17 मार्च को ही 01:19 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:58 बजे तक रहेगा, ऐसे में भद्राकाल होने के कारण शाम के समय होलिका दहन नहीं किया जा सकेगा।
Holika Dahan 2022 Date, Puja Vidhi, Muhurat
चूंकि होलिका दहन के लिए रात का समय उपर्युक्त माना गtया है, ऐसे में 12:58 बजे भद्राकाल समाप्त होने के बाद होलिका दहन संभव हो सकेगा। रात के समय होलिका दहन करने के लिए शुभ समय 12:58 बजे से लेकर रात 2:12 बजे तक है।
Holi 2022 Puja, होलिका दहन की आवश्यक पूजा सामग्री
- गाय के गोबर से बनी होलिका
- गेंहू की बालियां
- हरा नारियल
- कच्चा सूत
- रोली
- साबुत हल्दी
- साबुत मूंग
- बताशे
- मीठे पकवान
- मौसमी फल
- फूल
- जल का लोटा
- गुलाल
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होलिका दहन पूजा की विधि
- सर्वप्रथम होलिका दहन के लिए टहनियां, उपले, सूखी लकड़ियां, घांस-फूस आदि एकत्रित कर लें।
- होलिका दहन वाले दिन स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं और गाय के गोबर से भगवान प्रह्लाद और होलिका की प्रतिमा बनाएं।
- इसके बाद जल, रोली, अक्षत, फल-फूल, कच्चा सूत, गुड़ साबूत हल्दी, मूंग, गुलाल, बताशे, गेहूं की हरी बालियां और चने की पकी बालियों से पूजा करें।
- फिर होलिका की परिक्रमा करते हुए होलिका के चारों ओर सूत लपेटें और लोटे का जल होलिका को समर्पित करें।
- होलिका दहन के समय गेहूं की बालियों को आग में सेंका जाता है, इसके बाद इसे खा लें। कहा जाता है कि इससे स्वास्थ्य संबंधी सभी समस्याएं दूर होती हैं और व्यक्ति निरोगी होता है।
Disclaimer : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।