- सूर्य के आराध्य देव भगवान विष्णु माने गए हैं
- सूर्य के निमित्त दान हमेशा दोपहर के समय करना चाहिए
- दान जिसे दे रहे उसकी उम्र 40 से 50 के बीच होनी चाहिए
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को नवग्रह का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। इसके पीछे वजह एक नहीं अनेक है। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और इसी स्रोत के जरिये तीनों लोक संचालित भी होते हैं। सूर्य अन्य ग्रहों को भी विशिष्ट ऊर्जा प्रदान करता है। यही कारण है कि सूर्य को मुखिया माना गया है। सूर्य का रथ सात घोड़े खींचते हैं, जो सात चक्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य देव को गायत्री मंत्र या आदित्य हृदय मंत्र (आदित्यहृदयम) का जप कर प्रसन्न किया जा सकता है। सूर्य को जगत पिता कहा गया है, क्योंकि इसकी शक्ति से समस्त ग्रह चलायमान है। तो आइए आज आपको सूर्य ग्रह की शक्ति, महत्व और उससे जुड़ी हर बात बताएं। साथ ही यह भी जानें कि सूर्य को कैसे मजबूत किया जा सकता है।
जानें, सूर्य से जुड़ी ये प्रमुख बातें
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सूर्य से जुड़ा प्रमुख अन्न गेहूं को माना गया है।
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सूर्य ग्रह सिंह राशि का स्वामी है और यही इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है।
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मेष राशि में सूर्य उच्च होता हैं एवं तुला राशि में सूर्य नीच होता है।
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सूर्य से सम्बन्धित नक्षत्र कृतिका, उत्तराषाढा और उत्तराफाल्गुनी हैं।
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सूर्य की मित्र राशि चन्द्र, मंगल, गुरु हैं और शनि और शुक्र शत्रु भाव में रहते हैं। वहीं बुध के साथ सूर्य सम भाव है।
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गुरु, सूर्य का परम मित्र माने गए हैं और इन दोनों के संयोग से ही जीवात्मा का संयोग बनता है। गुरु जीव हैं तो सूर्य आत्मा।
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सूर्य ग्रह की मजबूती के लिए यदि आप दान कर रहे हैं तो रविवार के दिन दोपहर के वक्त ये दान करना चाहिए। साथ ही दान जिसे दे रहे हैं उसकी उम्र 40 से 50 साल के बीच होनी चाहिए।
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सूर्य का कारक तत्व पुत्र, राज्य, सम्मान, पद, भाई, शक्ति, चिकित्सा, पितरो की आत्मा, स्वर्ण, तांबा, फलदार वृक्ष, छोटे वृक्ष, गेंहू, भगवान भोले नाथ और राजनीति माना गया है।
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व्यवसाय तथा नौकरी के लिए सूर्य सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। सरकारी नौकरी, सरकारी संस्थाएं, रक्षक, सुरक्षा, ऊर्जा निर्माण केन्द्र, नियंत्रण कक्ष में रोजगार का कारक सूर्य ही होता है। साथ ही सूर्य ग्रह मजबूत हो तो व्यक्ति अनाज के गोदाम, राशन दुकान, धान से जुड़े कारोबार, होटल, कैंटीन आदि व्यवसाय से भी जुड़ता है। वहीं सूर्य रोग प्रतिकारक शक्ति का कारक है इसलिए प्रत्येक प्रकार के टीके व दवाइयों आदि से जुड़े कारोबार, जेनरेटर, विद्युत निर्माण केन्द्र आदि सूर्य से संचालित होते हैं।
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शरीर पर सूर्य का प्रभाव भी होता है। सूर्य का अधिकार आत्मा, चेतन शक्ति व हृदय पर है। रीढ़ की हड्डी भी सूर्य के अधिकार में है। शरीर में ऊर्जा निर्माण और रोग प्रतिकार शक्ति भी सूर्य के ही अधिकार में है। सूर्य का प्रभाव दृष्टि व आंखों पर भी होता है। सूर्य शक्ति निर्माण करने वाला ग्रह है। अत: शरीर में निर्मित होने वाली विद्युत शक्ति पर भी सूर्य का प्रभाव होता है। सूर्य यदि कमजोर हो तो दिल की बीमारियां, आत्मशक्ति में कमी, चेतना की कमी, गर्मी से जुड़ी बीमारियां, बुखार, सिर के अंदरूनी हिस्से में चोट-चपेट व रीढ़ की हड्डी की तकलीफ सूर्य से संबंधित है। सूर्य अग्नि का कारक ग्रह है, अत: हाजमे मे तकलीफ, श्वेत मांसपेशियों में दर्द और दृष्टि में दोष सूर्य से जुड़ा है।
सूर्यग्रह को इस विधि से करें मजबूत
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सूर्य के आराध्य देव भगवान विष्णु माने गए हैं। इसलिए भगवान विष्णु की आराधना जरूर करनी चाहिए।
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सूर्य के वैदिक मंत्र का सात हजार जप करने से सूर्य मजबूत हाता है। वैदिक मंत्र से उगते सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। जल में सिंदूर और लाल फूल जरूर डालना चाहिए।
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सूर्य का वैदिक मंत्र ‘ऊं आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्न मृतं मर्त्त्यंन्च हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्‘ है।
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सूर्य का तांत्रिक मंत्र ‘ऊं ह्रां हृीं हृौं सः सूर्याय नमः’ और ‘ऊं घृणि सूर्याय नमः’ है। सूर्य के इस मंत्र का जप अठ्ठाईस हजार करना चाहिए।
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आदित्य हृदय स्तोत्रम् का पाठ चालीस दिन करना चाहिए।
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सूर्य गायत्री मंत्र ‘आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि तन्नोः सूर्य प्रचोद्यात्’ को एक बार करना चाहिए।
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सूर्य के यंत्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से अनार की कलम से रविवार को लिख कर पंचोपचार पूजन कर, अथवा ताम्र पत्र पर गुरु पुष्य, रवि पुष्य, अमृत योग काल उत्कीर्ण करा कर लाल धागे में गूंथ कर गले या बांह में रविवार को प्रातः काल धारण करना चाहिए।
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व्रत का विधान : ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से प्रारंभ कर कम से कम बारह और अधिक से अधिक तीस व्रत (11, 12, 21, 30) रखें। सूर्यास्त से पूर्व गेहूं की रोटी, गुड़ या गुड़-गेहूं-घी से बना हलुआ खाएं। नमक बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। दिन
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सूर्य के निमित्त दान में सोना, माणिक्य, तांबा, गेहूं, गुड़, घी, पुष्प, केसर, मूंगा, लाल गाय, रक्त वस्त्र, रक्त, रक्त चंदन आदि रविवार को दान करना चाहिए।
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रत्न धारण : सूर्य का रत्न मणिक्य माना गया है। ये 5 रत्ती से अधिक 7 रत्ती तक स्वर्ण या ताम्र में मंढ़वा कर रविवार को धारण करना चाहिए। धारण करने से पूर्व रत्न को कच्चे दूध एवं गंगा जल से धो कर अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।
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सूर्य को कुंडली में जागृत करने के लिए करें ये उपाय
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सूर्य शिव के मंदिर में रहता है अतः शिव मंदिर में भोलेनाथ की पूजा अर्चना करनी चाहिए
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ग्यारह या इक्कीस रविवार तक गणेश जी पर लाल फूलों चढ़ाएं |
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सूर्य को मजबूत करने के लिए तांबे के लोटे से जल, गंगाजल, चावल, लाल फूल, लाल चन्दन मिला कर अर्घ्य दें | जल देते समय ‘ऊं अदित्याये नमः’ अथवा ‘ॐ घ्रिणी सूर्याय नमः’ का जाप करे ।
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बहती नदी में तांबे के सिक्के प्रवाहित करें।
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रविवार के दिन गाय को गुड और गेंहूं रविवार खिलाएं।
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सूर्य से जुड़ा दान कभी भी सुबह या शाम के समय नहीं करना चाहि। इससे सूर्य और कमजोर होगा। दान हमेशा दोपहर में करना चाहिए।
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लाल चन्दन या केशर का तिलक लगाएं।
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सूर्य अगर संतान प्राप्ति में बाधक है तो हनुमानजी को चोला चढ़ाएं और चने का भोग लगा कर इसे बंदरों को खिलाएं। साथ ही हरिवंश पुराण सुने।
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नेत्रों में रोग हो तो सूर्य को अर्घ देते समय नेत्रापनिषद का पाठ करें।
तो सूर्य को कुंडली में हमेशा मजबूत स्थिति में रखने का प्रयास करें। प्रतिदिन सूर्य को जल देने मात्र से भी आपका सूर्य मजबूत हो सकता है।