लाइव टीवी

Mantra Jaap: भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में होना है लीन? इन 5 चमत्कारी मंत्रों का रोजाना करें जाप

Updated Aug 31, 2022 | 16:16 IST

Chanting of Krishna Mantra: भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करने से व्यक्ति सारी परेशानियों से छुटकारा पा लेता है। भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करते समय व्यक्ति के मन में किसी भी तरह का छल कपट नहीं होना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण की पूजा पाठ में मंत्रों का विशेष महत्व बताया गया है।

Loading ...
भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र का जाप
मुख्य बातें
  • भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करना बेहद आसान हैं
  • श्री कृष्ण की विधि विधान से पूजा के साथ उनके मंत्रों का उच्चारण करना लाभकारी होता है
  • भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों से व्यक्ति को सही मार्गदर्शन होता है

Lord Krishna Mantra Jaap: भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना गया है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जो भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाता है वह मोक्ष को प्राप्त करता है। भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करना बेहद आसान हैं। श्री कृष्ण की विधि विधान से पूजा के साथ उनके मंत्रों का उच्चारण करना लाभकारी होता है। उनके एक मंत्र में ही इतनी शक्ति है कि भक्तों की सारी परेशानियां दूर हो जाती है। भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों से व्यक्ति को सही मार्गदर्शन होता है। आइए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण के उन मंत्रों का अर्थ सहित जिनका नियमित रूप से जाप करने से हर मनोकामना पूरी होती है।

मंत्र- वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।।
अर्थ- कंस और चाणूर का वध करने वाले देवकी के आनंदवर्धन, वासुदेवनन्दन जगद्गुरु श्रीकृष्ण चंद्र की मैं वन्दना करता हूं।

मंत्र- वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वर:। जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।
अर्थ- श्री राधारानी वृन्दावन की स्वामिनी हैं और भगवान श्रीकृष्ण वृन्दावन के स्वामी हैं, इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो।

Also Read- Jyotish Shastra Tips: सोने का खोना क्यों माना जाता है अशुभ, जानिए पाने पर क्या होता है?

मंत्र- महामायाजालं विमलवनमालं मलहरं, सुभालं गोपालं निहतशिशुपालं शशिमुखम। कलातीतं कालं गतिहतमरालं मुररिपुं
अर्थ- जिसका मायारूपी महाजाल है जिसने निर्मल वनमाला धारण किया है, जो मलका अपहरण करने वाला है, जिसका सुंदरभाल है, जो गोपाल है, शिशुवधकारी हैं, जिसका चांद सा मुखड़ा है, जो संपूर्ण कलातीत हैं, काल हैं, अपनी सुन्दर गति से हंस का भी विजय करने वाला है, मूर दैत्य का शत्रु है, अरे, उस परमानन्दकन्द गोविंद का सदैव भजन कर।।

मंत्र- कृष्ण गोविंद हे राम नारायण, श्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे। अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षज, द्वारकानायक द्रौपदीरक्षक।।
अर्थ- हे कृष्ण, हे गोविन्द, हे राम, हे नारायण, हे रमानाथ, हे वासुदेव, हे अजेय, हे शोभाधाम, हे अच्युत, हे अनन्त, हे माधव, हे अधोक्षज ( इंद्रियातीत), हे द्वारकानाथ, हे द्रौपदीरक्षक मुझ पर कृपा कीजिये।

Also Read- Coconut Remedy: नारियल के इन उपाय से करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न, मिलेगी सफलता और होगी धन की वर्षा

मंत्र- अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्।।
अर्थ- श्री मधुरापधिपति का सभी कुछ मधुर है। उनके अधर मधुर हैं। मुख मधुर है, नेत्र मधुर हैं, हास्य मधुर है और गति भी अति मधुर है।

मंत्रों का है विशेष महत्व

हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को पूर्णावतार माना गया है। श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होने वाले व्यक्ति को आनंद की प्राप्ति होती है। भगवान श्री कृष्ण की पूजा पाठ में मंत्रों का विशेष महत्व है। श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि अगर पूरी श्रद्धा और निष्ठा से भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप किया जाए तो श्री कृष्ण की कृपा मिलती है। 

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
 

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल