- पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से हर वर्ष होता है यात्रा का आयोजन
- प्रत्येक वर्ष भारी संख्या में श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जाते हैं
- विष्णु के 24 अवतारों में माने जाते हैं भगवान जगन्नाथ
Jagannath Rath Yatra 2020: एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस रथयात्रा को निकालने की अनुमति दी है। 18 जून को पुरी में 23 जून को होने वाली रथयात्रा को कोरोना महामारी के कारण सुप्रीम कोर्ट ने रोकने देने का फैसला किया था। फिर पुर्नविचार करते हुए इसे शर्तों के साथ अनुमति दी गई है। उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से प्रत्येक वर्ष भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा की रथयात्रा निकाली जाती है। इस वर्ष रथ यात्रा 23 जून से शुरू हो रही है।
ऐसे निकाली जाती है रथयात्रा
उड़ीसा स्थित पुरी की सड़कों पर भगवान जगन्नाथ, बालभद्र एवं सुभद्रा की भव्य एवं विशाल रथयात्रा निकाली जाती है। इस पवित्र यात्रा में भगवान बालभद्र का रथ सबसे आगे रहता है, जिसे तालध्वज कहा जाता है। बीच में सुभद्रा का रथ होता है जिसे दर्पदलन व पद्मा रथ कहा जाता है। सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ होता है जिसे नंदी घोष या गरुड़ ध्वज कहा जाता है। वास्तव में यह रथयात्रा भगवान विष्णु के ही अवतार जगन्नाथ को समर्पित होती है। मान्यता है कि जो कोई भी सच्चे श्रद्धा भाव से इस यात्रा में शामिल होता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस बार बदलेगा यात्रा का स्वरूप
पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर का बहुत ही महत्व है। यह भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जहां प्रत्येक वर्ष भारी संख्या में श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जाते हैं। भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक यात्रा की एक झलक पाने को देशभर से लोग पुरी पहुंचते हैं लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इस बार यात्रा का स्वरूप बदलेगा। नगर भ्रमण के लिए भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा निकलेंगे लेकिन उनके दर्शन के लिए भक्त रास्ते पर नहीं खड़े होंगे। समूचे पुरी में 'कर्फ्यू जैसा' बंद लागू कर दिया गया है। लोगों से अपील की गई है कि वह यात्रा के दर्शन टीवी पर ही करें।
जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव का महत्व
शास्त्रों एवं पुराणों में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से एक अवतार भगवान जगन्नाथ का भी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जगन्नाथ रथयात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर में पहुंचाया जाता है। इसलिए इसकी तैयारी बहुत पहले से ही शुरू कर दी जाती है। चूंकि गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ आराम करते हैं इसलिए रथयात्रा निकालने से एक दिन पहले गुंडिचा माता मंदिर की अच्छे से सफाई की जाती है, जिसे गुंडिचा मार्जन के नाम से जाना जाता है।
पूरी दुनिया में मशहूर है यात्रा
मंदिर की सफाई के लिए इंद्रद्युम्न सरोवर से जल लाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान जगन्नाथ का रथयात्रा उत्सव सिर्फ भारत में नहीं बल्कि दुनियाभर में एक पर्व के रुप में मनाया जाता है। इसमें भाग लेने के लिए विश्वभर के श्रद्धालु पुरी आते हैं। चूंकि जगन्नाथ मंदिर को चार धामों में से एक माना जाता है इसलिए जीवन में एक बार जगन्नाथ मंदिर आना जरुरी होता है।