- जन्माष्टमी सनातन धर्म के लोग हर साल धूमधाम से मनाते हैं
- जन्माष्टमी 11 और 12 अगस्त दोनों दिन मनाया जाएगा
- जानकारों के मुताबिक 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेयस्कर हैं
नई दिल्ली: भगवान कृष्ण का जन्मदिन यानी जन्माष्टमी सनातन धर्म का महापर्व है। हर साल की तरह इस बार भी जन्माष्टमी पर्व की तिथि को लेकर थोड़ा असमंजस है लेकिन देखा जाए तो जानकारों के मुताबिक 12 अगस्त को ही जन्माष्टमी पर्व मनाना श्रेयस्कर है। आइए जानते है कि जन्माष्टमी तिथि को लेकर असमंजस क्यों है। पंडित सुजीत जी महाराज के मुताबिक जन्माष्टमी पर राहुकाल दोपहर 12:27 बजे से 02:06 बजे तक रहेगा। 11 और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाई जा रही है। लेकिन 12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना श्रेष्ठ है।
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त कब है
11 अगस्त को सुबह 6 बजकर 54 मिनट से अष्टमी की शुरुआत हो रही है जो 12 तक रहेगा। दरअसल 12 अगस्त को 8 बजकर एक मिनट से रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत हो रही है और भगवान का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
इसलिए 12 अगस्त को ही अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र पड़ रहा है इसलिए 12 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाना श्रेयस्कर है।कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व 12-13 अगस्त की रात में मनाया जाए तो उत्तम है, बताया जा रहा है कि 12 अगस्त को वृर्द्धि योग है।
स्मार्त भक्तों में वह भक्त हैं जो गृहस्थ जीवन में रहते हुए जिस प्रकार अन्य देवी- देवताओं का पूजन, व्रत स्मरण करते हैं। उसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण का भी पूजन करते हैं, जबकि वैष्णवों में वो भक्त आते हैं जिन्होंने अपना जीवन भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित कर दिया है।
स्मार्त लोग 11 अगस्त को मनाएंगे
दरअसल स्मार्त लोग 11 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाएंगे। क्योंकि स्मार्त लोग तिथि के मुताबिक यह पर्व मनाते हैं। यानी जिस तिथि से सूर्योदय होता है यह उसीको मानते है इसलिए स्मार्त लोग 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे।
वैष्णव संप्रदाय 12 अगस्त को मनाएंगे
वैष्णव संप्रदाय को मानने वाले 12 अगस्त को मनाएंगे। क्योंकि मथुरा,वृंदावन,द्वारिका आदि जगहों पर यह पर्व 12 अगस्त को ही मनाया जाएगा। भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए यह समुदाय 12 अगस्त को ही यह पर्व मनाएगा। जबकि जगन्नाथ पुरी, बनारस और उज्जैन में कृष्ण जन्माष्टमी 11 अगस्त को मनाई जाएगी क्योंकि 11 अगस्त से अष्टमी तिथि से शुरू होगी।
जन्माष्टमी तिथि
अष्टमी तिथि आरम्भ – 11 अगस्त दिन मंगलवार सुबह 6 बजकर 14 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त – 12 अगस्त दिन बुधवार सुबह 8 बजकर 01 मिनट तक
रोहिणी नक्षत्र में पैदा हुए थे श्री कृष्ण
हिंदू शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए प्रति वर्ष इसी तारीख और इसी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल जन्माष्टमी के दिन कृतिका नक्षत्र लगा रहेगा। साथ ही चंद्रमा मेष राशि मे और सूर्य कर्क राशि में रहेगा। कृतिका नक्षत्र में राशियों की इस ग्रह दशा के कारण वृद्धि योग भी बन रहा है। बुधवार की रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक पूजा का शुभ समय है. शास्त्रों के अनुसार 43 मिनट के इस समय में पूजन करने से पूजा का फल दोगुना मिलता है। इसलिए इस मुहूर्त में पूजा करना श्रेयस्कर हैं।