- कल्कि द्वादशी पर विष्णु के 10वें अवतार की पूजा
- कलियुग में आएगा भगवान का ये अवतार
- जानें, कल्कि द्वादशी की पूजन विधि
Kalki Dwadashi 2022: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कल्कि द्वादशी मनाए जाने की पंरपरा है। इस साल कल्कि द्वादशी बुधवार, 07 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि की पूजा का विधान है। भगवान विष्णु का ये अवतार आज भी एक एक रहस्य है। विष्णु पुराण के अुसार, विष्णु जी के नौ अवतारों का प्राकट्य हो चुका है, अब कलियुग में उनका 10वां अवतार आएगा। ये उनका आखिरी अवतार होगा। भगवान विष्णु का यह अवतार धर्म की पुनर्स्थापना और पापियों का सर्वनाश करने के लिए धरती पर उतरेगा।
भगवान विष्णु का कल्कि अवतार बहुत आक्रामक है। इसमें कल्कि भगवान देवदत्त नामक सफेद घोड़े पर सवार होकर, हाथ में तलवार लिए पापियों का संहार करने आएंगे। ये कलियुग के अंत का समय होगा जब धर्म पुनर्स्थापना के लिए भगवान जमीन पर उतरेंगे। कल्कि अवतार आते ही सत्य युग प्रारंभ हो जाएगा। धरती से छल, कपट, झूठ और अत्याचार का अंत हो जाएगा।
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कैसे करें कल्कि स्वरूप की पूजा?
कल्कि द्वादशी के दिन स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें। अगर आपके पास कल्कि स्परूप की तस्वीर या प्रतिमा है तो उसकी स्थापना करें। अन्यथा भगवान विष्णु के मंदिर में जाकर भी इनकी पूजा की जा सकती है। भगवान का जलाभिषेक करें और उन्हें कुमकुम, अक्षत, फल और फूल अर्पित करें। चंदन से भगवान का तिलक करें और उनके सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद कल्कि देव की आरती उतारें और उनसे जीवन में सुख-संपन्नता का प्रार्थना करें।
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भगवान कल्कि के मंत्र
अगर आप भगवान कल्कि की कृपा चाहते हैं तो उनके महामंत्र ''जय कल्कि जय जगत्पते पद्मापति जय रमापते'' और बीजमंत्र ''जय श्री कल्कि जय माता की'' एक-एक माला का जाप करें। आप चाहें तो भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। कल्कि द्वदशी पर इन मंत्रों का जाप बहुत फलदायी माना जाता है।
डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।