- कामिका एकादशी श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में पड़ती है
- सावन के महीने में कामिका एकादशी पड़ने के कारण इसका महत्व काफी बढ़ जाता है
- व्रत रखने वालों को तीन दिनों तक चावल, लहसुन, प्याज और मसूल की दाल नहीं खानी चाहिए
नई दिल्ली। Kamika Ekadashi : हिंदू धर्म में कामिका एकादशी का बहुत महत्व है। कामिका एकादशी श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। इस वर्ष यह एकादशी 28 जुलाई यानि की आज रविवार को पड़ रही है। इस दिन उपवास रखकर पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। माना जाता है कि कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से हर कार्य सफल होता है।
चूंकि सावन के महीने को एक धार्मिक महीना माना जाता है इसलिए इस महीने में कामिका एकादशी पड़ने के कारण इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। भगवान विष्णु के सभी अनन्य भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा से भगवान की आराधना करते हैं और सफल जीवन की कामना करते हैं।
कामिका एकादशी का महत्व
श्रावण मास में पड़ने वाली कृष्ण एकादशी को ही कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। पूरी श्रद्धा से यह व्रत रखने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, सभी बिगड़े काम बन जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
व्रत के नियम
आमतौर पर कामिका एकादशी के व्रत के नियमों का पालन तीन दिनों यानि दशमी, एकादशी और द्वादशी को करना पड़ता है। अगर व्रत के नियमों का पालन सही तरीके से किया जाए तो कामिका एकादशी का उपवास सफल सिद्ध होता है और व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। कामिका एकादशी का व्रत रखने के दौरान इन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।
- कामिका एकादशी का व्रत रखने वालों को दशमी, एकादशी एवं द्वादशी यानि तीन दिनों तक चावल, लहसुन, प्याज और मसूल की दाल नहीं खानी चाहिए। इसके अलावा मांसाहारी भोजन एवं मदिरा से भी परहेज करना चाहिए।
- उपवास रखने वाले जातकों को एकादशी के दिन पेड़ पौधे नहीं तोड़ने चाहिए एवं अपने दांतों को उंगली से साफ करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन किसी व्यक्ति की बुराई नहीं करनी चाहिए।
- उपवास रखने वाले जातक को दशमी के दिन एक समय भोजन करना चाहिए और सूरज डूबने के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- दशमी के अगले दिन अर्थात् एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान करके साफ सुथरा वस्त्र धारण करना चाहिए और पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
- एकादशी की रात जागरण करने का भी विशेष महत्व है। इसे कामिका एकादशी व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
- द्वादशी के दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर पंडित को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा देनी चाहिए।
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