- खरमास में अधिक से अधिक धार्मिक कार्य और दान करें
- गर्म कपड़े और अन्न का दान सबसे अमोघ पुण्य दिलाता है
- खरमास में सूर्यदेव के साथ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें
खरमास में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं। 15 दिसंबर से खरमास लगेगा और इसी दिन से सभी प्रकार मांगलिक कार्य रूक जाएंगे। बस धार्मिक कार्य प्रमुखता से किए जाएंगे। एक महीने तक चलने वाला ये खरमास मकर संक्रांति के दिन खुलेगा और इसके बाद से मांगलिक कार्य शुरू हो जांएगे। खरमास तब लगता है जब सूर्य देव, धनु राशि में प्रवेश करते हैं। खरमास में केवल शुभ कार्य ही वर्जित नहीं होते, बल्कि कुछ चीजों का सेवन भी मना होता है। तो चलिए आपको बताएं कि खरमास में किन चीजों से परहेज करना चाहिए और किन चीजों को करना शुभकर होता है।
Kharmas December 2020 Date and Time
राजधानी पंचांग के अनुसार सूर्य 15 दिसंबर दिन मंगलवार को रात्रि मे 9 बजकर 32 मिनट पर धनु राशि मे प्रवेश कर रहे हैं और यह 14 जनवरी की शाम तक खरमास रहेगा, इसलिए मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी और इसी के साथ मांगलिक कार्य के दिन शुरू हो जाएंगे।
खरमास में जानिए क्या करें, क्या नहीं (Kharmas ke niyam)
खरमास में जरूर करने चाहिए हर किसी को ये काम
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खरमास के पहले दिन से ही सूर्योदय से पूर्व उठकर आप स्नान कर लें और इसके बाद उगते सूर्य को जल दें।
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खरमास में सूर्यदेव और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा जरूर करनी चाहिए।
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खरमास में ब्राह्मण, गुरु, गाय एवं साधु-सन्यांसियों की सेवा करने पर अमोघ पुण्य की प्राप्ति होती है।
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खरमास में आदित्यस्त्रोत का पाठ करना बहुत ही शुभफल देता है।
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खरमास मे यदि संभव हो तो पवित्र नदियों में स्नान करें। अन्यथा आप नहाने के पानी में गंगाजल मिश्रित कर स्नान करें।
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दान-पुण्य का इस मास में सबसे ज्यादा प्रयास करना चाहिए। ऊनी वस्त्र, कंबल, अन्न, चप्पल आदि का दान बहुत ही पुण्यकारी होता है।
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खरमास में धार्मिक यात्रा करने का भी बहुत पुण्य मिलता है।
खरमास में नहीं करने चाहिए ये काम
खरमास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। इस महीने में झूठ बोलने से बचना चाहिए। इस दौरान मन को शांत रखकर संयम और धैर्य के साथ जीवन व्यतीत करें। इस मास में मांस, शहद, चावल का मांड, चौलाई, उड़द, प्याज, लहसुन, नागरमोथा, गाजर, मूली, राई, नशे की चीजें, दाल, तिल का तेल और दूषित अन्न खाने से बचें। मन में अच्छे विचार आपके पुण्यकर्म को बढ़ाएंगे। जितना हो सके धार्मिक कार्य करें और जरूरतमंदों की मदद करें।