- सप्तमी के भोर में होता है नवपत्रिका पूजन
- नौ पत्तियां देवी के नौ स्वरूप का प्रतीक होती हैं
- नवपत्रिका पूजन के बाद ही सप्तमी पूजा होती है
नवरात्रि में देवी शक्ति की अराधाना और अनुष्ठान कई तरह के होते हैं। इसमें एक मुख्य अनुष्ठान होता है नवपत्रिका पूजन। नवरात्रि में नौ दिन देवी के विभिन्न स्वरूप की पूजा होती है। षष्ठी के दिन देवी जब धरती पर आती हैं, तो उन्हें बिल्व निमंत्रण दिया जाता है और सप्तमी के दिन भोर में देवी का नवपत्रिका पूजन होता है। मान्यता है कि नवपत्रिका पूजन के बिना देवी की पूजा अधूरी रहती है। तो आइए जानें कि, नवपत्रिका पूजन क्या है इसे कैसे किया जाता है।
सप्तमी के भोर में करते हैं नौ पत्तियों से पूजा
सप्तमी की सुबह नवपत्रिका यानी कि नौ तरह की पत्तियों से मिलकर एक गुच्छा बनाया जाता है। इन पत्तियों के जरिये ही देवी की पूजा का आवाह्न होता है। असल में ये नौ पत्तियां देवी दुर्गा के नौ स्वरूप का प्रतीक होती हैं। नवपत्रिका पूजन के लिए सूर्योदय से पूर्व ही स्नान-ध्यान कर पत्तियों को भी पवित्र नदी में धोया जाता है। इस स्नान को नवपत्रिका महास्नान कहते हैं। यह बहुत ही महत्वपूर्ण आयोजन होता है।
जानें, कौन सी पत्ती होती है किस देवी का प्रतीक
- धान की बाली को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है।
- केले के पत्ते को देवी ब्राह्मणी का प्रतीक माना गया है
- बेल पत्र को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है।
- कच्वी के पत्ते को देवी मां काली का प्रतीक माना गया है।
- हल्दी के पत्ते को देवी दुर्गा का प्रतीक माना गया है।
- जौ की बाली को देवी कार्तिकी का प्रतीक माना गया है।
- अनार के पत्ते को देवी रक्तदंतिका का प्रतीक माना गया है
- अशोक के पत्ते को देवी सोकराहिता का प्रतीक माना गया है।
- अमरुद के पत्ते को देवी मां चामुंडा का प्रतीक माना गया है।
नवपत्रिका पूजा का महत्व (Navpatrika Pujan ka Mahatva)
दुर्गा पूजा में महासप्तमी के दिन नवपत्रिका पूजन का महत्व इसलिए माना गया है कि इस दिन देवी नींद से जागती हैं और धरती पर मनुष्यों के बीच रह कर वह उनके कष्टों को हरती हैं। देवी की पूजा पत्तियों से करने के पीछे एक मान्यता यह भी रही है कि देवी किसान को अच्छी फसल का आशीर्वाद देती हैं। किसान का विशेष महत्व है. नवपत्रिका का इस्तेमाल दुर्गा पूजा में होता है और इसे महासप्तमी के दिन देवी को प्रकृति को देवी मानकर उनकी आराधना करते हैं।
ऐसे होती है नवपत्रिका की पूजा (Navpatrika Pujan Vidhi)
नवपत्रिका पूजा सप्तमी की सुबह शुरू होती है। नवपत्रिका पूजा के बाद ही सप्तमी पूजा की रस्में शुरू होती हैं। पवित्र स्नान के बाद नवपत्रिका को लाल साड़ी में लपेटा जाता है और फिर सभी पत्तियों पर सिंदूर का लेप किया जाता है। इसके बाद लोग चंदन का लेप, फूल और अगरबत्ती से नवपत्रिका की पूजा करते हैं। पूजा के बाद नवपत्रिका को भगवान गणेश के दाहिने ओर रखा जाता है। इस दिन नवपत्रिका पूजा के लिए विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है। हलवा, खीर, मिठाई आदि बहुत कुछ देवी को चढ़ाया जाता है।