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Hanuman kaise bane panchmukhi : बजरंगबली कैसे बने पंचमुखी हनुमान जी, जानें क्या है पौराणिक कथा

Updated Sep 01, 2020 | 00:20 IST

Panchmukhi Hanumanji Katha : हनुमानजी की पूजा पंचमुखी रूप में भी होती है, लेकिन बजरंबली ने इस रूप को धारण क्यों किया था? यदि आप नहीं जानते तो आइए, आपको उनके इस स्वरूप से जुड़ी पौराणिक कथा बताएं।

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Story of Panchmukhi Hanumanji, पंचमुखी हनुमान जी की कथा
मुख्य बातें
  • बजरंगबली के पंचमुखी स्वरूप को बहुत ही शक्तिशाली माना गया है
  • चारों तरफ संकट से घिरने पर पंचमुखी हनुमान की पूजा जरूर करनी चाहिए
  • अहिरावन की माया को खत्म करने के लिए बजरंगबली ने लिया था पंचमुखी अवतार

मान्यता है कि जब मनुष्य चारों तरफ से संकट से घिर जाए या उसे अपने संकट से निकलने का कोई रास्ता ना सूझ रहा हो तो पंचमुखी हनुमान के शरण में उसे आना चाहिए। पंचमुखी हनुमान की पूजा से मारक ग्रह के संकट तक से बचा जा सकता है। पंचमुखी रूप, हनुमान जी का सबसे शक्तिशाली स्वरूप माना गया है। इस स्वरूप को हनुमान जी ने रावण से युद्ध के समय उसकी माया को खत्म करने के लिए धारण किया था। पुराणों में बजरंगबली के पंचमुखी स्वरूप धारण करने की पौराणिक कथा भी वर्णित है। तो आइए जानें कि हनुमान जी ने ये स्वरूप किन परिस्थितियों में धारण किया था।

इसलिए बजरंगबली ने धारण किया पंचमुखी स्वरूप

रावण को जब यह लग गया कि वह भगवान श्रीराम से ये युद्ध हार रहा है तो उसने अपनी मायावी शक्तियों का प्रयोग करना शुरू किया। रावण जानता था कि यदि वह मायावी शक्ति का प्रयोग नहीं करेगा तो उसकी हार निश्चित है। इसलिए उसने अपने मायावी भाई अहिरावन की मदद युद्ध में ली। अहिरावन की मां भवानी तंत्र-मंत्र की ज्ञाता भी। अहिरावन भी इन तांत्रिक गतिविधियों में माहिर था इसलिए उसने युद्ध के समय एक ऐसी चाल चली की श्रीराम की सेना धीरे-धीरे कर निद्रा में समाती गई और सारी सेना युद्ध भूमि पर ही सो गई। इतना ही नहीं भगवान राम और लक्ष्मण भी इससे नहीं बच सके। भगवान राम एव लक्ष्मण के निद्रा में आते ही अहिरावण ने उनका अपहरण कर लिया और पाताल लोक ले गया।

कुछ घंटों बाद जब धीरे-धीरे माया का प्रभाव कम हुआ तो सब जागे, लेकिन प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण वहां नहीं दिखे। तब विभीषण ने समझ लिया कि ये मायावी काम अहिरावन का है और उन्होंने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को बचाने के लिए हनुमान जी को पाताल लोक जाने को कहा। हनुमान जी जब पाताल लोक पहुंचे तो देखा कि द्वार पर उनका ही पुत्र मकरध्वज है। मकरध्वज ने जब उन्हें रोका तो उन्होंने उसे युद्ध में हरा दिया और अंदर आए तो देखा भगवान श्री राम और लक्ष्मण बंधक बने हैं। साथ ही वहां पांच दीपक, पांच दिशाओं में जल रहे हैं। ये तंत्र अहिरावण की मां भवानी का था। हनुमान जी जानते थे कि ये पांचों दीपक साथ बुझाने के बाद ही अहिरावण का अंत हो सकता है इसलिए उन्होंने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर अहिरावण का वध किया।

यही कारण है कि हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा करने से मनुष्य के हर संकट एक साथ खत्म हो जाते हैं। हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख है।

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