- महाभारत में द्रौपदी और श्रीकृष्ण के संबंधों के लेकर लोगों में है उत्सुकता
- द्रौपदी मन ही मन श्रीकृष्ण से प्रेम करती थी
- फिर श्रीकृष्ण ने उन्हें अर्जुन से प्रेम करने के लिए कहा
महाभारत में द्रौपदी, पांडव भाईयों युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव की पत्नी थीं। उनकी श्रीकृष्ण से भी गहरा संबंध था जिनके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। महाभारत इन दिनों सुर्खियो में है और आज हम आपको द्रौपदी और श्रीकृष्ण के संबंधों के बारे में बताएंगे। द्रौपदी और श्रीकृष्ण आपस में घनिष्ठ मित्र थे। वे एक दूसरे की हर मुश्किल घड़ी में मदद करते थे। श्रीकृष्ण जहां उन्हें सखी कहते थे वहीं द्रौपदी उन्हें सखा कहती थीं।
श्रीकृष्ण और द्रोपदी का रिश्ता
किंवदंतियों में कहा जाता है कि द्रौपदी श्रीकृष्ण से प्रेम करती थी, वह उन्हें सभी आर्यपुत्रों में सबसे बेहतर मानती थीं। एक बार जब द्रौपदी और श्रीकृष्ण की मुलाकात हुई तो द्रौपदी ने उनसे कहा कि वह उन्हें अपना मान चुकी है और उनसे विवाह करना चाहती है इस पर श्रीकृष्ण ने कहा कि वह उनसे विवाह नहीं कर सकते हैं। उन्होंने द्रौपदी से कहा कि उन्होंने धरती पर एक उद्देश्य से जन्म लिया है और उनको उसी पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने द्रौपदी से कहा कि तुम्हारा जन्म धरती पर धर्म की रक्षा करने के लिए हुआ है और इस काम में उन्हें अर्जुन का साथ देना होगा। उन्होंने कहा कि वह उनसे नहीं बल्कि किसी और को अपना मानना चाहिए जो कि उन्हीं का एक भाग है। जब द्रौपदी ने उनसे पूछा कि वह कौन है जो उनसे भी श्रेष्ठ है इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि वह है पांडुपुत्र अर्जुन।
उन्होंने कहा कि अर्जुन की धर्म की लड़ाई में उन्हें उनका साथ देना होगा। श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि वह उनसे इस जन्म में प्रेम नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनकी पहले से ही 16 हजार रानियां हैं, लेकिन फिर भी वह हमेशा उनके मन में रहेंगी। फिर इसी के बाद द्रौपदी ने अर्जुन को अपना मान लिया। लेकिन इसके बाद भी वह श्रीकृष्ण को मन ही मन और अधिक मानने लगीं।
इस तरह चुकाया था कर्ज
अन्य किंवदंतियों के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण ने जब शिशुपाल का वध किया था तब उनके हाथ की उंगली कट गई थी तब द्रौपदी ने ही अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर उनकी उंगली पर बांधा था। इसके बाद श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा था कि एक दिन वह उनकी साड़ी का कर्ज जरूर चुकाएंगे। इसके बाद आपको याद होगा जब हस्तिनापुर की भरी सभा में कौरवों के भाई दुशासन ने जब द्रौपदी का चीरहरण किया था तब श्रीकृष्ण ने ही उन्हें साड़ी देकर द्रौपदी की लाज बचाई थी।