- जशोरेश्वरी काली मंदिर बांग्लादेश का प्रमुख शक्तिपीठ है
- जशोरेश्वरी काली मंदिर 400 साल पुराना बताया जाता है
- मां काली का ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के दो दिवसीय दौरे पर हैं यहां उनके कई कार्यक्रम हैं पीएम मोदी ने शनिवार की सुबह मां काली के प्रमुख शक्तिपीठ जशोरेश्वरी काली मंदिर (Jeshoreshwari Kali Shakti Peeth) के दर्शन कर पूजा पाठ की, यह मंदिर मां दुर्गा की 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस दौरान पीएम मोदी ने मां काली की मूर्ति पर एक मुकुट भी चढ़ाया, यह मुकुट चांदी का बना है और इस पर सोने का पानी चढ़ाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा के दूसरे दिन की शुरुआत सत्खिरा स्थित प्राचीन जशोरेश्वरी काली मंदिर में देवी काली की पूजा अर्चना से की और इस दौरान समस्त मानव जाति के कल्याण की कामना की, कई शताब्दियों पुराना यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।
मंदिर परिसर में पहुंचने पर प्रधानमंत्री का स्वागत शंख बजाकर, तिलक लगाकर और अन्य पारंपरिक तरीकों से किया गया।इसके बाद प्रधानमंत्री ने विधि-विधान से मां काली की पूजा अर्चना की। उन्होंने मां काली को एक मुकुट,साड़ी व अन्य पूजन सामग्रियां भी अर्पित की और अंत में मंदिर की परिक्रमा भी की।
जशोरेश्वरी काली मंदिर बांग्लादेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है बताते हैं कि हर साल बांग्लादेश और भारत से हजारों की संख्या में हिंदू श्रद्धालु माता के इस मंदिर का दर्शन करने पहुंचते हैं, काली पूजा के दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
कैसै बना ये शक्तिपीठ
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब माता सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गईं। शिवजी को जब इसका पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया।
यह मंदिर 400 साल पुराना बताया जाता है
यह बांग्लादेश का प्रमुख शक्तिपीठ है जशोरेश्वरी काली मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि तकरीबन 400 साल पहले मंदिर की स्थापना हुई थी, कभी यह मंदिर बहुत भव्य हुआ करता था। यहां 100 से अधिक दरवाजे थे, लेकिन मुगलों ने इसे खंडित कर दिया।
पीएम ने 'सर्वे भवंतु सुखिन:' के मंत्र का उल्लेख किया
पीएम मोदी ने जशोरेश्वरी काली मंदिर के दर्शन के बाद कहा- वर्ष 2015 में वह जब बांग्लादेश आए थे तो उन्हें मां ढाकेश्वरी के चरणों में शीश झुकाने का अवसर मिला था और आज मां काली के चरणों में आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।