- मान्यता है कि घर में शनिदेव की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए
- सुबह स्नान करके पूजा की तैयारी करें
- गणेश जी के पूजन से शनिदेव की पूजा प्रारंभ करें
शनिवार महाराज शनिदेव का वार होता है। इस दिन विधि विधान से शनिदेव महाराज की पूजा अर्चना करने से समस्त कष्टों और दुखों का नाश होता है। लेकिन एक बार फिर कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से कई शहरों में लॉकडाउन लग चुका है। ऐसे में यदि आप भगवान शनिदेव के मंदिर नहीं जा पा रहे हैं। या फिर किसी ऐसे शहर में हैं जहां पर भगवान शनिदेव का मंदिर या पीपल का पेड़ आसपास उपलब्ध नहीं है, तो आप असमंजस की स्थिति में होंगे की आखिर घर पर शनेदेव की पूजा कैसे करें। क्योंकि यदि शनिदेव महाराज किसी को सीधी दृष्टी से देख लें तो उसका सर्वनाश तय होता है। इसी कारण घर में शनिदेव की मूर्ती नहीं रखनी चाहिए। ऐसे में इस लेख के माध्यम से हम आपकी यह असमंजस की स्थिति दूर कर बताएंगे की घर पर शनिदेव महाराज की पूजा अर्चना कैसे करें।
घर पर कैसे करें शनिदेव की पूजा
यदि किसी कारणवश आप शनिदेव महाराज के मंदिर व पीपल के पास नहीं जा पा रहे हैं, तो आप शनिदेव की अराधना इस प्रकार घर पर कर सकते हैं। सर्वप्रथम सुबह स्नान कर निवृत्त हो जाएं। अब स्वच्छ काले रंग का वस्त्र धारंण करें। घर के मंदिर में तेल का दीपक जलाएं और गणेश जी के पूजन से पूजा प्रारंभ करें। भगवान शिव औऱ हनुमान जी को फल और फूल चढ़ाएं। पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से आरती करें। पूरे दिन उपवास करें और शाम को पूजा दोहराकर पूजा का समापन करें। उपवास के बाद भूलकर भी मांसाहारी भोजन का सेवन ना करें।
शनिदेव पूजा के मंत्र
ओम शनैश्चराय विदमहे सूर्यापुत्राय धीमहि।।
तन्नो मंद: प्रचोदयात।।
शनि की दशा होने पर ये करें
शनिदेव क्रोधित देवता नहीं है जैसा कि उन्हें लोगों द्वारा चित्रित किया जाता है। वह भगवान शिव द्वारा सौंपे गए अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। वह व्यक्ति को उसके बुरे कर्मों का फल देते हैं। शनि की गृहदशा चलने पर शनिवार के दिन विधि विधान से भगवान शनिदेव की पूजा अर्चना करें। इस दिन तिल के तेल से स्नान कर पूरे दिन उपवास रखें। तथा जरूरतमंद लोगों को काला कंबल, उड़द, तिल का तेल, काली गाय, भैंस, कपड़े, जूते आदि चीजों का दान करें। इससे जल्द ही आपके ऊपर से शनिदेव की गृहदशा टल जाती है।
भगवान शनिदेव की पूजन विधि
भगवान शनिदेव की पूजा आमतौर पर शनिवार के दिन की जाती है। इस दिन भगवान शनिदेव की पूजा औऱ पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। ब्रम्हपुराण के 118 वें अध्याय में लिखा है कि शनिदेव महाराज कहते हैं कि शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करता है उनके सभी कार्य सिद्ध होंगे तथा उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगीं और मुझसे उन्हें कोई पीड़ा नहीं होगी।
ब्रह्मपुराण के अनुसार शनिवार के दिन पीपल के पेड़ का दोनों हाथ से स्पर्श करते हुए ओम नम: शिवाय का जाप करें। इस मंत्र का 10 बार जप करने से दुख कठिनाई एवं ग्रहदोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है। पद्मपुरांण के अनुसार शनिवार को पीपल के जड़ में जल चढ़ाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। तथा इस दिन पीपल के पेड़ के सामने व भगवान शनिदेव के मंदिर में उनकी मूर्ती के सामने तेल का दीपक जलाने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और शनिदेव की कृपा बनी रहती है।