- नारियल में त्रिदेव का वास माना गया है।
- नारियल को लक्ष्मी जी का स्वरूप माना गया है।
- भगवान विष्णु धरती पर नारियल का पेड़ साथ लाए थे।
पूजा पाठ में एक चीज हमेशा ही होती है, वह है नारियल। नारियल पूजा में कहीं जटा वाला होता है तो कहीं बिना जटा वाला भी। यहां तक की प्रसाद स्वरूप भी नारियल का बहुत महत्व होता है। धार्मिक कर्मकांड में नारियल न हो तो वह पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है। इसलिए पूजा बड़ी हो या छोटी नारियल का होना जरूरी होता है। तो क्या आपका पता है कि ऐसा क्यों है? नहीं तो चालिए आज हम आपको बताते है कि नारियल पूजा पाठ में इनता महत्व क्यों रखता है।
नारियल में त्रिदेव का वास माना गया है
नारियल को बहुत पवित्र और शुद्ध माना गया है, क्योंकि इसमें त्रिदेव का वास माना गया है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही नारियल में विराजते हैं और यही कारण है कि कोई भी पूजा हो उसमें नारियल का होना जरूरी होता है। नारियल के पूजा में रखने से यह माना जाता है कि त्रिदेव का आशीर्वाद उस पूजा को प्राप्त हो रहा है। इससे पूजा फलीभूत होती है।
नारियल के साथ प्रकट हुए थे भगवान विष्णु
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु धरती पर प्रकट हुए थे तो देवी लक्ष्मी और कामधेनु गाय के साथ नारियल का पेड़ भी साथ लाए थे। इसलिए माना जाता है कि नारियल देवी-देवताओं का भी प्रिय भोग है। इसलिए नारियल को प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है और माना जाता है कोई और फल न भी हो और नारियल रहे तो प्रसाद पूर्ण हो जाता है। कई जगह पुराणों में नारियल को लक्ष्मी जी का स्वरूप माना गया है। इसलिए जिस घर में नारियल होता है माना जाता है वहां देवी लक्ष्मी का वास भी होता है।
जानें, क्यों नहीं तोड़ सकती महिलाएं नारियल
पूजा के बाद नारियल को तोड़ा जाता है और फिर प्रसाद स्वरूप इसे बांटा जाता है, लेकिन नरियल महिलाओं का तोड़ने निषेध है। ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाएं वंश को आगे बढ़ाती है और नारियल को भी बीज माना गया है। इसलिए यदि महिलाएं इसे तोड़ती हैं तो वंश का नाश होता है। इसलिए नारियल केवल पुरुष ही तोड़ सकते हैं।