- मार्गशीर्ष अमावास्या के दिन पितरों की पूजा भी करें
- मार्गशीर्ष मास में ही भगवान कृष्ण ने दिया था गीता का ज्ञान
- इस दिन दान-पुण्य करें और सत्यनारायण कथा कराएं
मार्गशीर्ष अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है, इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है। वैसे तो हर अमावस्या का अपना खास महत्व होता है, लेकिन मार्गशीर्ष अमावस्या सभी में खास होती है। मार्गशीर्ष महीना भगवान श्रीकृष्ण का माना गया है और और इस मास में उनकी पूजा-अर्चना करने का बहुत पुण्य मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं इस मास के महत्व के बारे में बताया है। अमावस्या पर देवताओं के साथ ही पितरों की भी पूजा करनी चाहिए और दान-पुण्य करना चाहिए। मार्गशीर्ष अमावस्या के महत्व के साथ चलिए आपको इस अमावस्या की विशेष बात बताएं।
मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था गीता का ज्ञान
हिंदू धर्म में गीता सबसे पवित्र मानी गई है। भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष मास में ही गीता का ज्ञान दिया था और यही कारण है कि इस मास में पड़ने वाले हर तीज-त्योहार बहुत खास होता है। इस मास में यदि मनुष्य धार्मिक कार्य करे तो उसे बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
शास्त्रों में उल्लेख है कि देवताओं से पहले पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए। अमावस्या पर विशेष रूप से पितरों की श्राद्ध और पूजन करना चाहिए। मार्गशीर्ष अमावस्या को व्रत रखने से पितर प्रसन्न होते हैं और यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष हो या संतान न हो तो ऐसे लोगों को अमावस्या के दिन व्रत-पूजन करना चाहिए। विष्णु पुराण में उल्लेखित है कि अमावस्या का व्रत रखने से पितरों की आत्मा ही नहीं, बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और समस्त प्राणी तृप्त होते हैं। अमावास्या पर किया गया दान मोक्ष की प्राप्ति कराता है।
मार्गशीर्ष अमावस्य व्रत पूजा विधि
इस दिन व्रत रखने के साथ साथ श्री सत्यनारायाण भगवान की पूजा व कथा करनी चाहिए। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए या स्नान के पानी में गंगाजल मिश्रित कर लेना चाहिए। इसके बाद सभी देवों की पूजा करें। विशेष कर इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें और गीता का पाठ जरूर करें।व्रत करने वाले लोगों को स्नान के बाद सभी पूजा की सामग्री के साथ पीपल के पेड़ के पास जाना चाहिए वहां जा कर पीपल के पेड़ के नीचे दूध या जल अर्पण करना चाहिए। उसके बाद भगवान को फूल, अक्षत अर्पित करके भगवान की कथा सुननी चाहिए।
मार्गशीर्ष अमावस्या समय
मार्गशीर्ष माह 14 दिसंबर दिन सोमवार को है। अमावस्या 13 दिसंबर की रात 12 बजकर 44 मिनट से लगेगी और 14 दिसंबर रात 21 बजकर 46 मिनट तक रहेगी।