- जिसने गीता के संदेशों को अपने जीवन में उतार लिया, उसका कल्याण हो जाता है
- जन्माष्टमी पर आप भगवान कृष्ण के गीता संदेश का अनुपालन करें तो आपका जीवन बदल सकता है
- कृष्ण ने गीता में कहा है कि आत्मा न तो पैदा होती है और ना ही मरती है
महाभारत काल में कौरवों एवं पांडवों के बीच युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया गीता का संदेश आज के समय में भी प्रासंगिक है। कृष्ण ने अर्जुन को रिश्तों के मायाजाल से निकलकर और युद्ध करके अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए उन्हें अपने अनमोल वचनों से प्रोत्साहित किया था जिसे गीता का वचन कहा जाता है।
कहा जाता है कि जिसने गीता के संदेशों को अपने जीवन में उतार लिया, उसका कल्याण हो जाता है। अगर जन्माष्टमी पर आप भगवान कृष्ण के गीता संदेश का अनुपालन करें तो आपका जीवन बदल सकता है। आइये जानते हैं गीता मुख्य संदेश क्या हैं।
जन्माष्टमी पर पढ़ें गीता के ये संदेश, बदल जाएगी आपकी ज़िंदगी
आत्मभाव में है संतुष्टि
कृष्ण ने गीता में कहा है कि आत्मा न तो पैदा होती है और ना ही मरती है। यह नश्वर शरीर विभिन्न तत्वों से बना है और अंत में उसी में मिल जाएगा। इसलिए दुनिया की नश्वर चीजों के पीछे ना भागें। आत्मभाव में रहने से ही मुक्ति मिलेगी।
क्रोध पर रखें नियंत्रण
कामवासना, क्रोध और भय ये तीनों इंसान के सबसे बड़े शत्रु हैं। जितना संभव हो सके, इनसे बचना चाहिए। क्रोध करने से मस्तिष्क विचलित होता है और स्मृति भी कमजोर होती है। जिससे व्यक्ति अपना विनाश अपने ही हाथों कर बैठता है।
वर्तमान में जिएं
गीता में कहा गया है कि जो होना है वह होकर रहेगा, उसे दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती। इसलिए भविष्य की चिंता ना करें और वर्तमान में जिएं।
परिवर्तन ही नियम है
इस संसार में कुछ भी स्थिर नहीं है। परिवर्तन ही संसार का नियम है। आपका खराब या अच्छा समय स्थिर नहीं रहता है। इसलिए चिंतामुक्त होकर जीवन का आनंद लें।
सब ईश्वर पर छोड़ दें
आपके जीवन में जो कुछ हो रहा है, वह उसकी मर्जी से हो रहा है। आगे जो भी होगा, उसी की मर्जी से होगा। इसलिए अपना कर्म करें और बाकी चीजें ईश्वर पर छोड़ दें।
कर्मों को अर्पण कर दें
अपने जीवन के सभी कर्मों को ईश्वर को अर्पण कर दें। जो होगा ईश्वर संभालेगा। इससे आप दुख और चिंता के बंधन से मुक्त हो जाएंगे।
नजरिया बदलें
चीजों को सकारात्मक तरीके से देखें और अपने नजरिए को शुद्ध करें। ज्ञान और कर्म में विश्वास रखें।
वैराग्य धारण करें
अगर मन अशांत है तो शांति पाने के लिए वैराग्य धारण करें। शांत वातावरण में समय बिताएं एवं चिंतन मनन करें।
कर्मों का फल मिलता है
गीता में कहा गया है कि हर व्यक्ति को अपने कर्मों का फल यहीं भुगतना पड़ता है। इसलिए अपने अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब रखें और सोच विचारकर ही कोई कर्म करें।
अपना काम स्वंय करें
अपने कार्यों की जिम्मेदारी दूसरों को ना सौंपे और अपना कार्य स्वयं करने की आदत डालें।
दिनचर्या का पालन करें
अपनी एक दिनचर्या बनाएं और नियमित इसका पालन करें। सोने और भोजन करने का समय निर्धारित करें।
योग करें
योग करने से जीवन की कई बाधाएं दूर हो जाती हैं और व्यक्ति निरोगी रहता है। इसलिए इस कर्म को कुशलता से करें।
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