- 13 फरवरी को मनाया जाएगा कुंभ संक्रांति का पर्व
- कुंभ संक्रांति के दिन स्नान दान करने का बहुत महत्व होता है
- सूर्य का कुंभ राशि में प्रवेश करना कुंभ संक्रांति कहलाता है
Kumbh Sankranti 2022 Date, Time, Puja Muhurat in India: हिंदू धर्म में कुंभ संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान दान और पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती हैं। कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti) का 12 राशियों पर प्रभाव पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य लगभग 1 महीने तक सभी राशियों में स्थान परिवर्तन करते रहते हैं। इस साल कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti 2022 Date) का पर्व 13 फरवरी को मनाया जाएगा। जानें कुंभ संक्राति का क्या महत्व है, इस दिन क्या करना शुभ रहेगा और क्या है इस संक्रांति की कथा।
Kumbh Sankranti 2022 date in India, 2022 की कुंभ संक्रांति की डेट
सूर्य का राशि में परिवर्तन करना संक्रांति कहलाता है। जब सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करता हैं, तो उसे कुंभ संक्रांति कहते हैं। साल 2022 में सूर्य कुंभ राशि में 13 फरवरी को प्रवेश करेंगा।
Also Read: Mahashivratri 2022 Date: महाशिवरात्रि कब है 2022 में
कुंभ संक्रांति का महत्व, Significance of Kumbh Sankranti
कुंभ संक्रांति के दिन संगम के तट पर कुंभ मेला लगता है। इस दिन स्नान दान, यम और सूर्य देवता की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती हैं। कुंभ संक्रांति के दिन से ही बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है।
कुंभ संक्रांति में क्या करें, Kumbh Sankranti Do's and Do nots
- कुंभ संक्रांति के दिन व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सूर्य देवता को अर्घ्य देख कर आदित्य स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सफलता मिलती है।
- कुंभ संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की विधि-विधान से पूजा करने से परिवार को सदस्यों के ऊपर कोई विपत्ति नहीं आती हैं। व्यक्ति रोगों से मुक्त हो जाता है। भगवान आदित्य का आशीर्वाद जीवन के हर परेशानियों को दूर कर देता है। सूर्य देवता की पूजा आराधना मान सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि करवाता हैं।
- कुंभ संक्रांति के दिन खाने की चीजें, वस्त्र एवं गरीबों को दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती हैं। ऐसा कहा जाता है, कि इस दिन दान पूर्ण करने से व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात उत्तम धाम की प्राप्ति होती है। व्यक्ति सभी दोषों से मुक्त हो जाता है।
- शास्त्र के अनुसार कुंभ संक्रांति के दिन गंगा नदी या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्यक्ति को मां गंगा का ध्यान करना चाहिए।
- कुंभ संक्रांति के दिन भगवान सूर्य देवता के बीज मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को विपत्तियों से शीघ्र छुटकारा मिल जाता है।
Astro Tips: कहीं कमजोर सूर्य तो नहीं बढ़ती उम्र और झड़ते बालों की वजह
कुंभ संक्रांति की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार हरिदास नाम का एक बेहद दयालु और धार्मिक ब्राह्मण था। उसकी पत्नी का नाम गुणवती था। गुणवती अपने पति की तरह ही दयालु और धार्मिक थी। वह सभी देवी देवताओं का व्रत विधिवत करती थी। लेकिन उसने धर्मराज की कभी पूजा नहीं की और ना ही उनके नाम का कोई व्रत और ना ही उसने कभी उनके नाम से दान पुण्य किया था। मृत्यु के पश्चात जब चित्रगुप्त उसके पापों का लेखा-जोखा कर रहे तब उन्होंने गुणवती से कहा कि तुमने कभी भी धर्मराज के नाम से कोई भी व्रत नहीं रखा ना ही दान पुण्य किया और ना ही पूजा-पाठ किया।
इसी वजह से तुम्हें यह भुगतना पड़ रहा है। चित्रगुप्त की यह बात सुनकर गुणवती ने कहा 'हे भगवान' यह भूल मैंने जानबूझकर नहीं की है। यह भूल मुझसे अनजाने में हुई है। अनजाने में की गई इस भूल को सुधारने का आप हमें उपाय बताएं। यह सुनकर धनराज ने कहा कि तुम जब भगवान सूर्य उत्तरायण में रहेंगे तब मेरी पूजा प्रारंभ करके पूरे वर्ष कथा सुनना और दान करना। पूजा के बाद दान अवश्य करना। 1 साल के बाद इस व्रत का उद्यापन करना।
धर्मराज ने गुणवती से कहा कि मेरी पूजा के साथ-साथ चित्रगुप्त जी की भी पूजा अवश्य करना। उस दिन सफेद और काले तिल के लड्डू का भोग लगाना और यथाशक्ति ब्राह्मणों को दान करना। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं। व्यक्ति का समस्त जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेखन सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। ये टाइम्स नाउ नवभारत का मत नहीं है।