- माघ माह के पूर्णिमा के दिन हुआ था संत शिरोमणि रविदास जी का जन्म।
- रैदास ने ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया था।
- आज भी वाराणसी में मौजूद है संत रविदास जी का भव्य मंदिर और मठ।
Ravidas Jayanti 2022 Date, Time, Puja Muhurat in India: संत गुरु रविदास जी 15वीं सदी के महान समाज सुधारक, दार्शनिक कवि और भगवान के अनुयायी थे। उन्होंने भेदभाव से ऊपर उठकर समाज के कल्याण की सीख दी। रविदास जी के रचनाओं में भगवान के प्रति प्रेम की झलक साफ दिखाई देती है। वह अपनी रचनाओं के माध्यम से दूसरों को भी परमेश्वर से प्रेम के बारे में बताते थे और उनसे जुड़ने की सलाह देते थे। रविदास जी अक्सर समाज की कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाते थे। उन्होंने मध्यकाल में ब्राह्मणवाद को चुनौती दी थी। वह कहते थे कि कोई व्यक्ति जन्म के आधार पर श्रेष्ठ नहीं होता बल्कि वह अपने कर्मों से पूज्यनीय बनता है।
Ravidas Jayanti 2022 Date, रविदास जयंती 2022 कब है
हिंदू पंचांग के अनुसार संत रविदास जी का जन्म 1377 ईस्वी में माघ माह की पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस बार रविदास जयंती 16 फरवरी 2022, बुधवार को है। पूर्णिमा तिथि 15 फरवरी को रात 09 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 16 फरवरी 2022 को रात 01 बजकर 25 मिनट पर समाप्त हो रही है।
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Ravidas Jayanti 2022 Date And Shubh Muhurat
- रविदास जयंती 2022 तिथि 16 फरवरी 2022, बुधवार
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 15 फरवरी 2022 को रात 09:16 से
- पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 16 फरवरी 2022 को रात 01:25 तक
कौन थे संत रविदास
हालांकि उनके जन्म से जुड़ी ज्यादा जानकारी इतिहास में मौजूद नहीं है। उनका नाम रैदास भी माना जाता है। कुछ साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर रविदास जी का जन्म 1377 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गांव में हुआ था। वहीं उनके जन्म को लेकर कई विद्वानों का मत है कि उनका जन्म 1482 से 1527 के बीच हुआ। उनके पिता संतोखदास जूते बनाने का काम करते थे और माता कलसा देवी एक गृहणी थी। हिंदू पंचांग के अनुसार संत रविदास जी का जन्म माघ मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। ये भी कहा जात है कि संत रविदास ने कबीर जी के कहने पर स्वामी रामानंद को अपना आध्यात्मिक गुरु बनाया था।
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रविदास का बचपन से रहा आध्यात्म के प्रति झुकाव
रविदास जी बचपन से ही साधु संतो के बीच रहते थे और आध्यात्म के प्रति उनका अधिक झुकाव था। यही कारण है कि उनके अंदर अधिक भक्ति भावना जागृत हो गई। उन्हें संत रैदास के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णिमा तिथि होने के कारण इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की भी पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से धन प्राप्ति के मार्ग में वृद्धि होती है और धन संबंधी समस्याओं का निवारण होता है।