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Chanakya Niti: ये चार कार्य एक बार में नहीं हुए पूरे तो इन्‍हें दोहराना है व्‍यर्थ, खत्‍म हो जाता है महत्‍व

Updated Jul 29, 2022 | 08:19 IST

Chanakya Niti in Hindi: नीति शास्‍त्र में आचार्य चाणक्य ने कई ऐसे कार्यों का जिक्र किया है जो जीवन के लिए महत्‍वर्पूण होता है। इस शास्‍त्र में आचार्य ने 4 ऐसे कार्यों का भी जिक्र किया है, जिसे जीवन में एक बार ही करना अच्‍छा होता है। इन कोर्यों को या तो दोबारा किया नहीं जा सकता है या फिर इसे करने का कोई महत्‍व नहीं होता है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
इन चार महत्‍वपूर्ण कार्य को दोहराना है व्‍यर्थ
मुख्य बातें
  • घर के मुखिया के आदेश का एक बार में न हो पालन तो सम्‍मान खत्‍म
  • मंत्रों का उच्‍चारण एकबार में सुनना जरूरी, दोबारा अर्थ बदल जाते हैं
  • पिता के लिए कन्या दान करना एक बार सही, दोबारा तकलीफदेह

Chanakya Niti in Hindi: हर व्‍यक्ति अपने कार्य व स्‍वभाव के बल पर जीवन और समाज में सम्‍मान पाता है। अगर व्‍यक्ति का कर्म सही है और वह समय के महत्‍व को समझकर कोई कार्य कर रहा है तो उसे सफलता हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन में सारा खेल समय चक्र का होता है जो समय को नहीं पहचान पाता वह असफल ही रहता है। आचार्य ने अपने नीति शास्‍त्र में कुछ ऐसे कार्य बताएं हैं जो समय के साथ एक ही बार में पूरा करना अनिर्वाय होता है। अगर ऐसा न हो तो उस कार्य को करने का या तो दोबारा मौका नहीं मिलता या फिर उसे करना व्‍यर्थ होता है। आचार्य के अनुसार ऐसे कार्य को एक ही बार में करना जरूरी होता है।

घर के मुखिया का आदेश

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि राजा और घर के मुखिया का आदेश सिर्फ एक बार ही सही माना गया है। अगर पहली बार में आदेश का पालन न हो तो उस आदेश का सम्मान खत्म हो जाता है। इसका मतलब है कि उसका कोई सम्‍मसन नहीं करता उसे उस पद का परित्‍याग कर देना चाहिए।

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मंत्रोच्चारण

चाणक्य के अनुसार वेद में दिए गए मंत्रों का जब पंडित उच्‍चारण करें तो उसे पहली बार में ही अच्छे से सुन लेना चाहिए, क्योंकि उनकी प्रतिज्ञा दृढ़ रहती है। मंत्रों को दोबारा से दोहराने पर उनके अर्थ बदल जाते है और ये पूरी तरह महत्‍वहीन हो जाते हैं।

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कन्या दान  

आचार्य चाणक्‍य ने कन्या दान को बहुत शुभ माना है। आचार्य ने कहा है कि इसे शास्त्रों में सबसे बड़ा दान माना गया है। लेकिन इसे एक बार किया जाए तो ही बेहतर है। अगर किसी पिता को अपनी कन्‍या का दोबारा से दान करना पड़े तो वह उसके लिए बेहद तकलीफदेह होगा।

मानव जन्‍म

चाणक्य के अनुसार मानव जीवन एक बार ही मिलता है। इसलिए इसे व्यर्थ न जाने दें। अच्छे इंसान बने और अपने मेहनत व कर्म के बल पर इस जीवन में सफलता पाएं। साथ ही पुण्‍य के ऐसे कार्य करें, जिससे मृत्‍यु के बाद भी स्‍वर्ग नसीब हो।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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