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Lohri 2021 : लोहड़ी उत्सव से जुड़े 10 रोचक तथ्य, शादी के बाद पहली लोहड़ी का क्‍या है महत्‍व

Updated Jan 08, 2021 | 18:58 IST

Interesting facts related to Lohri : सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से ठीक एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है, लेकिन शायद ही आप इस त्योहार से जुड़े बहुत से रोचक तथ्य जानते होंगे।

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Interesting facts related to Lohri, लोहड़ी से जुड़े रोचक तथ्य
मुख्य बातें
  • पौष मास के अंतिम दिन लोहड़ी का पर्व होता है
  • ईरान में भी नववर्ष का त्योहार इसी तरह मनाते हैं
  • लोहड़ी पर्व में अग्नि का विशेष महत्व होता है

पंजाबी समुदाय का सबसे प्रमुख त्योहार लोहड़ी होता है। हर साल लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले यानि 13 जनवरी को मनाया जाता है। लोहड़ी के दिन शाम के समय लकड़ियों की ढेरी सजा कर उसे जलाया जाता है और उसके चारों ओर घुमते-नाचते हुए लोग रेवड़ी, गजक, मूंगफली, खील और मक्के के दानों को अग्नि में डालते जाते हैं। इसके बाद सभी एक दूसरे से गले मिलकर इस त्योहार की बधाई देते हैं। साथ ही रेवड़ी, गजक, मूंगफली आदि का प्रसाद भी बांटा जाता है।

लोहड़ी का पर्व कृषि से जुड़ा होता है। इस दिन से ही मूली और गन्ने की फसल बुवाई शुरू हो जाती है और काट कर रखी गई रबी की फसल जैसे जौ, चना, मसूर, सरसों, गेहूं, मटर, मक्का आदि को लोहड़ी की अग्नि में अर्पित कर ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है। नई फसल का भोग भगवान को अर्पित किया जाता है और पूरे वर्ष अच्छी फसल, धन और संपन्नता की प्रार्थना की जाती है। पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है। तो चलिए लोहड़ी से जुड़ी कुछ रोचक बातें भी आपको बताएं।

जानें, लोहड़ी से जुड़ी ये रोचक बातें (Lohri Unknown facts, why and how we celebrate Lohri)

  1. हर साल एक ही दिन लोहड़ी मनाई जाती है। मकर संक्रांति की तरह इसके दिन में बदलाव नहीं होता है। हर साल 13 जनवरी को यानी पौष मास के अंतिम दिन लोहड़ी का पर्व होता है।

  2. लोहड़ी पर्व में अग्नि का विशेष महत्व होता है। इस दिन अग्नि के चारों ओर घूमते हुए नई फसल की आहूतियां दी जाती हैं और इस आहूति के जरिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है।

  3. लोहड़ी के दिन विशेष पकवान बनते हैं, जिसमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होता है।

  4. लोहड़ी से कुछ दिन पहले से ही छोटे बच्चे लोहड़ी के गीत गाकर घर-घर से लोहड़ी के लिए लकड़ियां एकत्र करने लगते हैं।

  5. लोहड़ी उत्सव उस घर में और खास होता है, जिन घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो। इन घरों में लोहड़ी विशेष उत्साह के साथ मनाई जाती है। लोहड़ी के दिन बहन और बेटियों को मायके बुलाया जाता है।

  6. लोहड़ी उत्सव संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि सुंदरी एवं मुंदरी नाम की लड़कियों को राजा से बचाकर एक दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने किसी अच्छे लड़कों से उनकी शा‍दी करवा दी थी।

  7. वैसाखी की तरह लोहड़ी का सबंध भी पंजाब के गांव, फसल और मौसम से है। इस दिन से मूली और गन्ने की फसल बोई जाती है। इससे पहले रबी की फसल काटकर घर में रख ली जाती है। खेतों में सरसों के फूल लहराते दिखाई देते हैं।

  8. एक अन्य पौराणिक मान्यता अनुसार सती के त्याग के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है। कथानुसार जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती हो गई थीं। उसी दिन की याद में यह पर्व मनाया जाता है।

  9. लोहड़ी में पारंपरिक पहनावे और पकवानों को बनाया जाता है। इस दिन नववधू किचन में पहली बार सबसे के लिए खाना बनाती है।

  10. ईरान में भी नववर्ष का त्योहार इसी तरह मनाते हैं। आग जलाकर मेवे अर्पित किए जाते हैं। मसलन, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मनाई जाने वाली लोहड़ी और ईरान का चहार-शंबे सूरी बिल्कुल एक जैसे त्योहार हैं। इसे ईरानी पारसियों या प्राचीन ईरान का उत्सव मानते हैं।

लोहड़ी उत्साह और प्यार का त्योहार होता है और इसे पंजाबी समुदाय के साथ मिलकर सभी मनाते हैं।

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