- गणेश भगवान हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवता हैं
- किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है
- भगवान गणेश को एकदन्त, गजानन और लम्बोदर जैसे कई नामों से भी जाना जाता है
गणेश भगवान हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवता हैं, किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले उनकी आराधना की जाती है। मान्यता है कि शुभ कार्य करने से पहले गणेश भगवान की आराधना करने से सारे काम सफल होते हैं और किसी प्रकार की विघ्न या बाधा रास्ते में नहीं आती है। इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं जिन्हें चाव से सुना जाता है। भगवान शुव और पार्वती के पुत्र गणेश को उनकी बुद्धिमता के लिए जाना जाता है।
उन्हें सभी देवी देवताओं में सबसे सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है यही कारण है कि भगवान गणेश को किसी भी देवी देवता को पूजने से पहले पूजा जाता है उनकी आराधना की जाती है। भगवान गणेश को एकदन्त, गजानन और लम्बोदर जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। देशभर में अलग-अलग मौकों पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। एक मान्यता ये भी है कि भगवान गणेश का जन्म बंगाल क्षेत्र में हुआ था।
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान श्रद्धालु केले के पेड़ को खूबसूरत दुल्हन की तरह सजाते हैं जिसे 'कोला बोउ' कहा जाता है। इस प्रथा के मुताबिक पेड़ के तने को लाल बॉर्डर वाली साड़ी से लपेटा जाता है जिसे लाल पाढ़ कहते हैं। पेड़ के पत्तों को सिंदूर से सजाया जाता है। सजाए हुए इस पेड़ को फिर पूजा वाले स्थान पर स्थापित किया जाता है जहां पर श्रद्धालु उन पर फूलों का चढ़ावा कर उनकी पूजा करते हैं। श्रद्धालु उस पेड़ के चारों तरफ चंदन का लेप भी लगाते हैं साथ ही वहां अगरबत्तियां भी जलाते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि केले के इस पेड़ को भगवान गणेश की मूर्ति के बगल में स्थापित किया जाता है।
इस प्रथा के पीछ एक कथा छुपी हुई है। कहानी ये है कि भगवान गणेश विवाह करने के लिए जा रहे थे लेकिन रास्ते में उन्हें याद आया कि वे कुछ भूल गए हैं ऐसे में वे वापस घर आए और उन्होंने देखा कि उनकी मां अपने दसों हाथों से एक भरी कटोरी चावल खा रही हैं। सभी को पता है कि भगवान गणेश अपनी मां से कितना प्रेम करते थे। इसलिए उन्होंने मां से पूछा कि वे इतनी जल्दी में क्यों खा रही हैं।
इस पर मां दुर्गा ने कहा कि उन्हें असुरक्षा है कि क्या पता उनकी पत्नी उन्हें भरपेट खाना दे या ना दे। ये सुनने के बाद भगवान गणेश फौरन घर से बाहर निकले और एक केला का पेड़ काटा और अपनी मां को थमाते हुए कहा कि आज से ये आफकी बहू है। उनका ऐसा करने का मतलब ये था कि उन्हें कभी भी दिक्कत नहीं होगी और उनका हमेशा खयाल रखा जाएगा। भगवान गणेश के मुताबिक अपनी मां की देखभाल व रक्षा करने के अलावा दुनिया में कोई भी काम बड़ा व महत्वूपर्ण नहीं है।