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Lord Shiva Symbols: त्रिशूल, डमरू और ॐ सहित शिवजी के ये प्रतीक हैं खास, जानें इनसे जुड़े रहस्य

Updated Apr 21, 2022 | 16:12 IST

Lord Shiva Symbols Importance: भगवान शिव ने अपने शरीर में जितनी भी चीजें धारण की हुई हैं। सभी आलौकिक हैं और इनके महत्व अचंभित करने वाले हैं। हाथ में डमरू और त्रिशूल, गले में सर्प के साथ महादेव के प्रतीक चिन्हों का विशेष महत्व होता है। जानते हैं शिवजी से जुड़े प्रतीक के महिमा और रहस्य।

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भगवान शिव
मुख्य बातें
  • भक्तों से लिए महादेव का हर रूप है कल्याणकारी
  • शिवजी के हर प्रतीक से जुड़ा है महत्वपूर्ण रहस्य
  • सच्चे मन से पूजा करने पर भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं शिव

Lord Shiva Symbols: देवों के देव महादेव का हर रूप कल्याणकारी है। कहा जाता है कि भगवान शिव के जितने नाम हैं उतने ही रूप भी हैं। शास्त्रों के अनुसार शिवजी का पहला रूप ‘महादेव’ दूसरा रूप ‘आशुतोष’ और तीसरा रूप ‘रुद्र’ चौथा ‘नीलकंठ’ और पांचवां रूप ‘मृत्युंजय’ है। शिवजी के सभी स्वरूप का अलग ही महत्व है। जिस तरह से शिवजी के सभी स्वरूप की अलग ही महिमा है उसी तरह शिवजी से जुड़ा हर प्रतीक भी महत्वपूर्ण है। डमरू, त्रिशूल, सर्प, गंगा, रुद्राक्ष, चंद्रमा और ॐ शिवजी के महत्वपूर्ण प्रतीक हैं। जानते हैं भगवान शिव से जुड़े प्रतीक की महिमा और रहस्य।

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डमरू

शिवजी के कई प्रतीकों में एक है डमरू जो कि उन्हें अत्यंत प्रिय है। हिंदू धर्म में भगवान शिव को नृत्य और संगीत का प्रवर्तक माना जात है। वे डमरू बजाकर खूब प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि शिवजी के डमरू में सातों सुर हैं।

रुद्राक्ष

शास्त्रों के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिवजी के आंसू से हुई थी। पुराने समय में रुद्राक्ष को आभूषण के रूप में पहना जाता था। इसके अलावा ग्रह शांति और धार्मिक लाभ के लिए भी रुद्राक्ष पहना जाता है। शास्त्रों में रुद्राक्ष के कुल 17 प्रकार बताए गए हैं, जिनमें 12 मुखी रुद्राक्ष सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। इसे हाथ और गले में पहना जाता है।

त्रिशूल

भगवान शिव की सभी प्रतिमा में त्रिशूल देखा जाता है। शिवजी के त्रिशूल के आगे दैहिक, दैविक और भौतिक किसी तरह के कष्ट नहीं टिकते। वास्तु के अनुसार,घर पर भी त्रिशूल रखने से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर चली जाती है। कुछ लोग त्रिशूल को लॉकेट के रूप में गले में भी पहनते हैं। लेकिन इसे तभी पहनना चाहिए जब आप मन और कर्म से सच्चे हों और कभी भी झूठ ना बोलते हों।

 चंद्रमा

शिवजी अपनी जटा में गंगा के साथ अर्द्ध चंद्रमा भी धारण किए हुए होते हैं। चंद्रमा को मन का कारक कहा जाता है। पूर्णिमा का दिन चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक विकार दूर होते हैं।

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सभी मंत्रों में ॐ नम: शिवाय सबसे शक्तिशाली मंत्र है। इस मंत्र में ऐसी ध्वनियां हैं, जिससे पर्यावरण शुद्ध होता है और तंत्र उर्जावान। इसलिए सभी देवी-देवताओं के मंत्रोच्चारण में ॐ का प्रयोग किया जाता है।

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(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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