- नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को होता है समर्पित, मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप माना जाता है बेहद शुभ।
- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना करना दिलाता है तपस्या का वरदान, अत्यंत कल्याणकारी हैं मां ब्रह्मचारिणी।
- कठोर तपस्या के बाद मां ब्रह्मचारिणी को प्राप्त हुए थे भगवान शिव, देवी-देवता देखकर रह गए थे दंग।
वर्ष में कुल चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि प्रमुख मानी जाती हैं। 13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो गई है, नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री वहीं दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दूसरे दिन साधना की जाती है ताकि कुंडलिनी शक्तियों को जागृत किया जा सके। कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों के सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं तथा भक्तों और सिद्धों के लिए उनकी पूजा करना अनंत फलदायक होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो भक्त मां ब्रह्मचारिणी के लिए तपस्या करता है उसके अंदर संयम, त्याग, वैराग्य और सदाचार की उन्नति होती है।
अगर आप भी नवरात्रि व्रत कर रहे हैं तो यहां जानिए दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए आरती, मंत्र, कथा और भोग।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने ना पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
मां ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र
ब्रह्मचारिणी: हीं श्री अम्बिकायै नम:।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।।
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा हिमालय के घर एक सुंदर कन्या ने जन्म लिया था। वह कन्या भगवान शिव को अपने पति के रूप में स्वीकारना चाहती थी इसीलिए नारद जी ने उसे कठोर तप करने का सलाह दिया। नारद मुनि की बात मानकर वह कन्या कठोर तप करने लगी जिसके कारण उसका नाम ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी रखा गया। कहा जाता है कि इस कड़ी तपस्या के चलते मां ब्रह्मचारिणी ने हजारों साल तक सिर्फ फल-फूल का सेवन किया था। इतना ही नहीं साग खाकर वह सौ साल तक जीवित रही थीं और भगवान शिव को पाने की तपस्या कर रही थीं। उनका तप देखकर सभी देवी-देवता अचरज में पड़ गए थे। सभी देवी-देवताओं ने उन्हें वरदान दिया कि उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी और ठीक वैसा ही हुआ।
मां ब्रह्मचारिणी को क्या लगाएं भोग?
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय गुड़हल और कमल का फूल उन्हें अवश्य अर्पित करें। मां ब्रह्मचारिणी को चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग अवश्य लगाना चाहिए। अगर आप मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उन्हें दूध और दूध से बने व्यंजन जरूर अर्पित करें। अगर आप लंबी आयु और सौभाग्य प्राप्त करना चाहते हैं तो मां ब्रह्मचारिणी व्रत पर इन सभी चीजों का दान अवश्य करें।