- सावन के प्रत्येक मंगलवार को देवी पार्वती की पूजा का विधान है
- शिवजी को पाने के लिए देवी ने सावन में किया था व्रत
- देवी की पूजा में हर चीज 16 की संख्या में चढ़ानी होती है
सावन के प्रत्येक सोमवार को शिवजी की पूजा की जाती है और प्रत्येक मंगलवार को देवी पार्वती की पूजा और व्रत का विधान है। सावन का पहला मंगला गौरी व्रत मंगलवार यानी 7 जुलाई को है। इसके पश्चात सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं मंगला गौरी यानी देवी पार्वती का व्रत रख कर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। सावन मास शिव परिवार की पूजा का विशेष महत्व होता है। सोमवार शिवजी, मंगलवार देवी पार्वती और बुधवार को गणपति जी की विशेष पूजा होगी। आइए जानें, सावन में मंगला गौरी व्रत कब-कब होगा और इस व्रत का क्या महत्व है।
Mangal Gauri Vrat 2020 Dates
पहला मंगला गौरी व्रत: 07 जुलाई 2020
दूसरा मंगला गौरी व्रत: 14 जुलाई 2020
तीसरा मंगला गौरी व्रत: 21 जुलाई 2020
चौथा मंगला गौरी व्रत: 28 जुलाई 2020
Mangal Gauri Vrat 2020 Mahatva : जानें व्रत का महत्व
मंगला गौरी का व्रत पति की लंबी आयु और अंखड़ सौभाग्य के लिए किया जाता है। साथ ही यह व्रत संतान की रक्षा और आयु वृद्धि के लिए भी होता है। इस दिन महिलाएं देवी गौरी को सुहाग से जुड़ी सामग्री चढ़ा कर खुद भी सोलह श्रृंगार करती हैं। वैवाहिक जीवन से जुड़ी हर दिक्कते इस व्रत को करने से दूर होती हैं। मान्यता है कि जिस तरह देवी ने तप कर शिवजी को पाया था उसी तरह देवी सुहागिनों के सुहाग की भी रक्षा करती हैं।
Mangal Gauri Vrat 2020 : पूजा में हर चीज 16 की संख्या में चढ़ाएं
मंगला गौरी की पूजा में मां गौरी को जो भी चीजें चढ़ाई जाती हैं, उसकी संख्या 16 होती है। 16 साड़ी, 16 श्रृंगार की वस्तुएं, 16 चूडियां और 16 प्रकार के प्रसाद या मेवा आदि। ऐसा इसलिए क्योंकि सावन के सोमवार से देवी पार्वती ने 16 सोमवार का व्रत शिवजी को पाने के लिए रखा था। इसलिए पूजा में हर चीज 16 की संख्या में ही चढ़ाने का विधान होता है।