- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष संक्रांति पर सूर्य ग्रह मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करता है।
- शास्त्रों के अनुसार मेष संक्रांति के दिन से विवाह, गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं
- मेष संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा करना फलदाई माना गया है, इस दिन अर्घ्य देने की परंपरा होती है
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, संक्रांति एक ऐसी समयावधि है जब सूर्य ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। सौर्य वर्ष के अनुसार एक वर्ष में कुल 12 संक्रांतियां आती हैं। जानकारों के मुताबिक यह तिथि दान-पुण्य, श्राद्ध और तर्पण के लिए अनुकूल मानी जाती है। मेष संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा करना बेहद लाभदायक माना जाता है। भारतीय परंपराओं के अनुसार, इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना बेहद फायदेमंद होता है। ज्योतिषी यह बताते हैं कि मेष राशि से खरमास समाप्त हो जाता है जिसके बाद लोग शादी, गृह प्रवेश, मुंडन, भूमि पूजन आदि जैसे शुभ कार्य करते हैं।
Mesh Sankranti 2021 date and significance
यहां जानें, इस वर्ष मेष राशि कब पड़ रही है और इसका महत्व क्या है।
मेष संक्रांति तिथि और मुहूर्त
- मेष संक्रांति तिथि- 14 अप्रैल 2021, बुधवार
- मेष संक्रांति पुण्य काल- सुबह 05:57 से लेकर दोपहर 12:22 तक
- मेष संक्रांति महा पुण्य काल- सुबह 05:57 मिनट से लेकर 08:05 तक
मेष संक्रांति का महत्व क्या है
सनातन धर्म में हर संक्रांति बेहद शुभ और अनुकूल मानी जाती है। मेष संक्रांति का भी विशेष महत्व है और इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा करने से तथा अर्घ्य देने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से सूर्य ग्रह से संबंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं।