- साल में एक बार खुलता है उज्जैज का नागचंद्रेश्वर मंदिर
- नाग पंचमी के दिन खुलते हैं नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट
- नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन से दूर होता है काल सर्प दोष
Ujjain Nagchandreshwar Temple: हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में सांपों और नागों की पूजा प्राचीन समय से ही चली आ रही है। देवी-देवताओं के समान नाग को भी देवता माना जाता है और उसकी पूजा की जाती है। भगवान शिवजी भी नाग वासुकी को अपने गले पर धारण किए रहते हैं। नाग पंचमी के मौके पर नाग देवता की पूजा की जाती है। विशेषकर उत्तर भारत में नाग पंचमी और दक्षिण भारत में नागल चैथी का पर्व मनाया जाता है। इस साल नाग पंचमी का पर्व 2 अगस्त 2022 को पड़ रहा है।
नाग पंचमी के मौके पर नाग देवता के मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। लेकिन उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जोकि पूरे साल में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलता है। इस दिन नागचंद्रेश्वर महादेव के दुर्लभ दर्शन होते हैं। यही कारण है कि इस दिन देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। मान्यता है कि मंदिर के दर्शन करने से कालसर्प दोष दूर होते हैं। जानते हैं मंदिर से जुड़ी विशेषताओं और महत्व के बारे में।
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नागराज तक्षक के कारण साल में एक दिन खुलता है मंदिर
प्रचलित कथाओं के अनुसार उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में केवल नाग पंचमी के दिन खुलने के पीछे एक कहानी है। जिसके अनुसार, नागराज तक्षक शिवजी की तपस्या कर उनसे अमरत्व का वरदान पा लिया था। इसके बाद नागराज तक्ष भगवान शिव और माता पार्वती को अपनी छाया में रखते हैं। कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन नागराज तक्षक स्वंय मंदिर में आते और भक्तों के दर्शन देते हैं।
दर्शन से दूर होता है काल सर्पदोष
मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन कर पूजा अर्चना करने से काल सर्पदोष से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में सर्प दोष होने का अर्थ होता है कि व्यक्ति का जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहता है। बहुत मेहनत के बाद भी तरक्की हासिल नहीं होती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)