- नरक चतुर्दशी दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाता है।
- नरकासुर का वध करने के कारण ही इस दिन का नाम नरक चतुर्दशी रखा गया।
- नरक चतुर्दशी इस साल तीन नवंबर को मनाई जाएगी।
Naraka Chaturdashi 2021 Vrat Katha in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार नरक चतुर्दशी दीपावली के एक दिन पहले यानी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती हैं। धर्म के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था।
नरकासुर का वध करने के कारण ही इस दिन का नाम नरक चतुर्दशी रखा गया। इस साल यह व्रत तीन नवंबर को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान यम की पूजा और दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। यदि आप नरक चतुर्दशी का व्रत करते हैं, तो आप यहां इस वर्त की पावन कथा देखकर पढ़ सकते हैं।
नरक चतुर्दशी की कथा (Naraka Chaturdashi vrat katha in hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार रंतिदेव नामक का एक राजा था। रंतिदेव धार्मिक कार्यों को बहुत मन से करता था। राजा ने अपने संपूर्ण जीवन में कोई भी पाप नहीं किया था। जब राजा की मृत्यु बेहद समीप आ गई, तो उसने अपने सामने यमदूत को खड़े देखा और उन्हें देखकर राजा अचंभित रह गया। उन्होंने धर्मराज यमराज से कहा, मैंने तो जीवन में किसी प्रकार का पाप नहीं किया है फिर आप मुझे लेने क्यों आए हैं।
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यमदूत से मांगे एक साल (Naraka Chaturdashi vrat katha book)
धर्मराज के आने का मतलब तो व्यक्ति को नर्क जाना पड़ता है। राजा रंतिदेव ने कहा क्या आप मुझे नर्क में ले जाने आए हैं। मेरे किस अपराध की वजह से आप मुझे नर्स ले जाना चाहते हैं। तब यमराज ने राजा से कहा हे, राजन् तुम्हारे द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था। आपके उसी बुरे कर्म का यह फल है। यह सुनकर राजा ने यमदूत से 1 वर्ष का समय मांगा। धर्मराज ने तब राजा रंतिदेव को 1 वर्ष का समय दिया।
ऋषि को सुनाई अपनी समस्या (Naraka Chaturdashi vrat story)
राजा अपनी समस्याओं के निदान के लिए ऋषि के पास गया गए और उन्होंने अपनी सारी समस्याएं ऋषि से कह सुनाई। राजा की समस्याओं को सुनकर ऋषि महात्मा ने कहा हे राजन तुम यदि कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन व्रत रखो और सैकड़ों ब्राह्मण को भोजन कराओं।
उन्हें अनाज देकर उनसे अपनी की गई अपराधों की क्षमा याचना मांगों। ऐसा करने से तुम्हे पापों से मुक्ती मिल जाएगी। राजा ने ऋषि की बात सुनी और उसी समय से वह व्रत करना शुरू कर दिया। व्रत के प्रभाव से राजा को नर्क की जगह लोक स्वर्ग लोक की प्राप्ति हुई।