- नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है।
- मान्यता है कि शैलपुत्री की अराधना करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है।
- मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं हैं अत्यंत प्रिय, इस दिन माता को सफेद रंग की मिठाई का लगाएं भोग।
Navratri 2021 1st Day Maa Shailputri Puja Vidhi and Mantra : सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। माता के दाहिने हांथ में त्रिशूल और बाएं हांथ में कमल विराजमान है। तथा माथे पर चंद्रमा सुशोभित है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दिन मां शैलपुत्री की अराधना करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है। मां शैलपुत्री को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना कर व्रत रखने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है व सभी कष्टों का निवारण होता है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं मां शैलपुत्री की पूजा विधि, आरती और पौराणिक कथा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ट्विटर अकाउंट पर माता शैलपुत्री की पूजा का वीडियो शेयर किया है।
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Navratri 2021 1st Day Maa Shailputri Puja Vidhi, मां शैलपुत्री पूजा विधि
मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन माता को सफेद वस्त्र, सफेद फूल चढ़ाना चाहिए। साथ ही सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है। मां शैलपुत्री की पूजा करते समय उनके चरणों में गाय का घी अर्पित करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां शैलपुत्री सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। तथा मनोवांक्षित फल की प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
Maa Shailputri Mantra in hindi, इन मंत्रों का करें जाप
वन्दे वांक्षितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम।
वृशारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम।
Maa Shailputri Aarti lyrics in hindi, मां शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्री मां बैल सवार, करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी।
उसकी सगरी आस जगा दो। सगरे दुख तकलीफ मिटा दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रृद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी। शिव मुख चंद चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
Maa Shailputri ki katha, Maa Shailputri ki pauranik kahani, माता शैलपुत्री की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने अपने घर पर एक बड़े यज्ञ का आयोजन करवाया। इस यज्ञ में उन्होंने सभी देवी देवताओं और ऋषि मुनियों को आमंत्रित किया, लेकिन माता सती के पति यानि अपने दामाद भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया। माता सती ने भगवान शिव से अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी, माता सती की आग्रह पर भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। जब माता सती यज्ञ में पहुंची तो उन्होंने देखा कि राजा दक्ष भगवान शिव के बारे में अपशब्द कह रहे थे। पति के इस अपमान को होते देख माता सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्रांण त्याग दिए। इसके बाद सती ने शैलपुत्री के रूप में अगला जन्म पर्वतराज हिमालय के घर लिया।