- भगवती का आठवां स्वरूप हैं मां महागौरी, अष्टमी तिथि पर होता है पूजन
- गौर वर्ण का माना गया है मां का ये रूप, यहीं से मिला है नाम
- जानिए क्या है मां महागौरी के स्वरूप की पौराणिक कथा?
Navratri 2021 8th Day, Maa Mahagauri Vrat Katha In Hindi : नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा अर्चना होती है। धर्म अनुसार माता की शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी कही गई है। महागौरी की पूजा करने से जीवन में किए सभी पाप नष्ट होते हैं। पंडितों अनुसार जिस की कुंडली में विवाह से संबंधित परेशानियां हों, उन्हें महागौरी की उपासना अवश्य करनी चाहिए। महागौरी की उपासना से जीवन साथी एवं शीघ्र विवाह संपन्न होने के योग बनते हैं।
कुमारी कन्याओं को अष्टमी का व्रत करने से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। ऐसी मान्यता है, कि महागौरी की पूजा अर्चना करने से माता अपने भक्तों पर जीवन भर अपनी दया दृष्टि बनाए रखती हैं। यदि किसी की विवाह में विलंब हो रही हो तो वह महागौरी की पूजा आराधना उसकी यह समस्या तुरंत दूर हो सकती है। हिंदू शास्त्र के अनुसार इस दिन महागौरी की पूजा के साथ कन्या भोजन कराने से जगदंबिका पूजा को स्वीकार कर सभी मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देती हैं। शास्त्र में नवरात्रि की अष्टमी पूजा का विशेष महत्व है।
जानें महागौरी की पूजा विधि, सामग्री, मंत्र, आरती और पौराणिक कथा
इस दिन यदि भक्त एकाग्रचित होकर मां की पूजा अर्चना करें, तो देवी मां बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं। अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना बेहद लाभकारी माना जाता है। शास्त्र के अनुसार असुरों का संहार करने और देवताओं का कल्याण करने के लिए ही माता को अस्त्र-शस्त्र धारण करना पड़ा था। आदिशक्ति होने के बावजूद नव दुर्गे माता को महागौरी का स्वरूप क्यों लेना पड़ा, यहां आप इस कथा के माध्यम से जान सकते हैं।
Maa Mahagauri Vrat Katha, मां महागौरी की पौराणिक कहानी
मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को लेकर दो पौराणिक कथाएं काफी प्रचलित हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या करते समय माता हजारों वर्षों तक निराहार रही थी, जिसके कारण माता का शरीर काला पड़ गया था। वहीं माता की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया, माता का रूप गौरवर्ण हो गया। जिसके बाद माता पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया।
माता महागौरी के मंत्र और हिंदी आरती
दूसरी पौराणिक कथा
वहीं दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार कालरात्रि के रूप में सभी राक्षसों का वध करने के बाद भोलनाथ ने देवी पार्वती को मां काली कहकर चिढ़ाया था। माता ने उत्तेजित होकर अपनी त्वचा को पाने के लिए कई दिनों तक कड़ी तपस्या की और ब्रह्मा जी को अर्घ्य दिया। देवी पार्वती से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने हिमालय के मानसरोवर नदी में स्नान करने की सलाह दी। ब्रह्मा जी के सलाह को मानते हुए मां पार्वती ने मानसरोवर में स्नान किया। इस नदी में स्नान करने के बाद माता का स्वरूप गौरवर्ण हो गया। इसलिए माता के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया। आपको बता दें मां पार्वती ही देवी भगवती का स्वरूप हैं।