- मां कुष्मांडा देवी भगवती का चौथा स्वरूप है।
- माता की आठ भुजाएं हैं, माता के एक हांथ में अमृत कलश विराजमान है।
- माता ने अपनी मंद मुस्कान से सृष्टि की रचना की थी।
Navratri 2022 4th Day Maa Kushmanda Puja Vidhi and Mantra: हिंदू पंचांग के अनुसार 2 अप्रैल से शुरू हुई चैत्रीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कुष्मांडा (Ma Kushmanda) की पूजा का विधान है। माता को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है, क्योंकि माता की आठ भुजाएं हैं। माता की आठो भुजाओं में कमंडल, धनुष बांण, शंख, चक्र, गदा, सिद्धियों व निधियों से युक्त जप माला और अमृत कलश विराजमान है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विधि विधान से मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना करने से आयु, यश और आरोग्य की प्राप्ति होती है तथा सभी कष्टों का निवारण होता है। माता को हरा रंग अत्यंत प्रिय है। मान्यता है इस दिन माता को हरे रंग की चीजों का भोग लगाने से माता का आशीर्वाद अपने भक्तों पर सदैव बना रहता है। देवी का निवास स्थान सूर्यमंडल के मध्य में माना जाता है, जहां कोई भी निवास नहीं कर सकता। आइए जानते हैं मां कुष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र, आरती और पौराणिक कथा।
मां कुष्मांडा की पूजा विधि (Navratri 4th Day puja vidhi)
- नवरात्रि के चौथे दिन रोजाना की तरह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर निवृत्त हो जाएं। सर्वप्रथम कलश पूजन व विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करने के बाद मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना की शुरुआत करें।
- माता को पंचामृत से स्नान कराएं और श्रंगार करें। इसके बाद माता को गुड़हल का फूल, फल, अक्षत सिंदूर और लाल रंग का जोड़ा अर्पित करें।
- धूप दीप कर मां कुष्मांडा का पाठ करें और नीचे दिए मंत्रों का 108 बार जप करें। अब माता को मालपुए का भोग लगाएं।
- मान्यता है कि माता को मालपुए का भोग लगाने के बाद किसी ब्राम्हण को खिलाने से माता प्रसन्न होती हैं। भोग लगाने के बाद माता की आरती करें।
- ध्यान रहे माता की पूजा करते समय सिर खुला नहीं होना चाहिए। खासकर महिलाएं ध्यान रखें पूजा करते समय अपने बालों को अच्छी तरह बांध लें और सिर चुन्नी या साड़ी से ढ़क लें।
मां कुष्मांडा महामंत्र (Ma Kushmanda Mahamantra)
वन्दे वाछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहरूढा अष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वीनाम्।।
या देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ओम देवी कुष्मांडायै नम:।
सूरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।।
मां कुष्मांडा बीज मंत्र (Ma Kushmanda Beej Mantra)
ऐं ह्रीं देव्यै नम
मां कुष्मांडा आरती (Ma Kushmanda Aarti)
कुष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी।।
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली।।
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे ।।
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा।।
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सब सुख पहुंचाती हो मां अम्बे।।
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा।।
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेंगी अरज हमारी।।
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा।।
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरा तुम भंडार भर दो।।
तेरे दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए।।