Navratri 2022 6th Day, Maa Katyayani Vrat Katha In Hindi: नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। इनको मां भगवती का छठा स्वरूप माना गया है। मां कात्यायनी को युद्ध की देवी भी कहा जाता है। माता का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला माना जाता है और इनको प्रिय रंग पीला है। मानते हैं कि मां की पूजा से न सिर्फ असीम बल की प्राप्ति होती है, बल्कि इनकी कृपा से विवाह में आने वाली अड़चनें भी दूर हो जाती हैं। यहां देखें मां कात्यायनी की व्रत कथा हिंदी में।
मां कात्यायनी की व्रत कथा, Maa Katyayani Vrat Katha
पौराराणिक कथा के अनुसार वनमीकथ का नाम के महर्षि थे, उनका एक पुत्र था जिसका नाम कात्य रखा गया। इसके बाद कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया, उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की, महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उन्हें साक्षात दर्शन दिया। कात्यायन ऋषि ने माता को अपनी मंशा बताई, देवी भगवती ने वचन दिया कि वह उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेंगी।
जब तीनों लोक पर महिषासुर नामक दैत्य का अत्याचार बढ़ गया और देवी देवता उसके कृत्य से परेशान हो गए, तब ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव के तेज से माता ने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया। इसलिए माता के इस स्वरूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। माता के जन्म के बाद कात्यायन ऋषि ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तीन दिनों तक मां कात्यायनी की विधिवत पूजा अर्चना की। इसके बाद मां कात्यायनी ने दशमी के दिन महिषासुर नामक दैत्य का वध कर तीनों लोक को उसके अत्याचार से बचाया।
मां कात्यायनी के विवाह से जुड़े उपाय
विवाह में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं या कुण्डली में विवाह का योग नहीं बन रहा है तो मां कात्यायनी की विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद 108 बार माता के मंत्रों का जाप करें। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि गोपियों ने भी भगवान श्री कृष्ण से विवाह के लिए मां कात्यायनी देवी की अराधना की थी।