- नवरात्रि व्रत में मां दुर्गा के कथा का पाठ करने से सभी परेशानियां दूर होती हैं।
- मां दुर्गा की व्रत कथा भगवान ब्रह्मा ने बृहस्पति जी को सुनाई थी।
- अगर आप भी यह व्रत रख रहे हैं तो आपको यह कथा जरूर सुननी चाहिए।
Navratri 2022 Maa Durga Vrat Katha In Hindi: आज यानी 2 अप्रैल 2022 से मां आदिशक्ति की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो गया है। चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा विधि अनुसार की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त नवरात्रि के 9 दिनों तक व्रत रखता है और विधि अनुसार मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करता है उसकी सभी परेशानियां दूर होती हैं तथा हर मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि की व्रत कथा को पढ़े बिना व्रत अधूरा माना जाता है। अगर आप भी नवरात्रि का व्रत रख रहे हैं तो यह कथा जरूर पढ़ें।
नवरात्रि की व्रत कथा (Chaitra Navratri 2022 Vrat Katha)
एक बार ब्रह्मा जी बृहस्पति जी को नवरात्रि व्रत कथा सुना रहे थे। ब्रह्मा जी के अनुसार- बहुत समय पहले एक गांव में पीठत नाम का एक अनाथ ब्राह्मण रहा करता था। उसके घर सुमती नाम की कन्या ने जन्म लिया था। वह ब्राह्मण हमेशा मां दुर्गा की पूजा करता था और इस पूजा में उसकी बेटी भी उपस्थित रहती थी। एक दिन खेल-खेल में ब्राह्मण की बेटी पूजा में नहीं आई जिसके बाद ब्राह्मण को बहुत गुस्सा आया और उसने कहा कि वह अपनी बेटी का विवाह किसी कुष्ठ रोगी या दरिद्र मनुष्य के साथ करवाएगा।
अपने पिता की बात सुनकर उस कन्या ने कहा कि- मैं आपकी कन्या हूं, आपकी जैसी इच्छा हो आप वैसा ही करो। आप चाहे जिससे भी मेरा विवाह कराएं लेकिन होगा वही जो मेरे भाग्य में लिखा होगा।' अपनी बेटी की बात सुनकर ब्राह्मण को और गुस्सा आ गया और उसने एक कुष्टी से अपनी बेटी का विवाह करवा दिया। इसके बाद उसने कहा कि- अब तुम अपने कर्मों का फल भोगो, देखता हूं तुम कैसे अपने भाग्य के भरोसे रह सकती हो'
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ब्राह्मण की बेटी को देखकर मां भगवती प्रकट हुईं और उन्होंने कहा कि- मैं तुम्हारे पूर्व जन्म के कर्मों से प्रसन्न हूं। तुम अपने पूर्व जन्म में निषाद (भील) की पतिव्रता पत्नी थी। एक दिन जब तुम्हारे पति ने चोरी की थी तब तुम दोनों को सिपाहियों ने जेलखाने में डाल दिया था।' इसके बाद देवी भगवती ने कहा कि 'उस दौरान तुमने नौ दिनों तक कुछ नहीं खाया था और ना ही जल पिया था। ऐसे तुमने नवरात्र का व्रत पूरा कर लिया था। इस व्रत के प्रभाव से मैं तुमसे बहुत खुश हूं, तुम्हारी जो इच्छा हो वह तुम मांग सकती हो।'
ब्राह्मण की बेटी ने मां भगवती की बात मानकर उनसे यह वरदान मांगा कि वह उसके पति का कोढ़ दूर कर दें। मां भगवती ने ब्राह्मण की बेटी की इच्छा पूरी कर दी। इसके बाद मां भगवती ने कहा कि जल्द ही उसका उदालय नाम का एक धनवान, कीर्तिदान, बुद्धिमान और जितेंद्रिय पुत्र होगा। ब्राह्मण की बेटी ने खुश होकर मां दुर्गा से नवरात्रि के व्रत की विधि और व्रत के फल का विवरण पूछा।
ब्राह्मण की बेटी के प्रश्न का उत्तर देते हुए मां भगवती ने यह बताया कि चैत्र या अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से 9 दिन तक व्रत रहें। अगर व्रत नहीं रख सकते हैं तो एक समय का भोजन करें। घट स्थापना करने के बाद वाटिका बनाकर उसको हमेशा जल से सींचे। विधि अनुसार पूजा करें और पुष्प से अर्घ्य दें। इस दौरान घी, गेहूं, शहद, खांड, जौ, तिल, बेल, नारियल, कदम्ब और दाख से हवन करें। गेहूं के हवन से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, खीर एवं चंपा के पुष्पों से धन की और बेल के पत्तों से तेज व सुख मिलता है।
इसके साथ मां भगवती ने यह भी बताया कि बिजौरा के फल से अर्घ्य देने से रूप की प्राप्ति होती है। जो जायफल से अर्घ्य देता है उसे कीर्ति और जो दाख से देता है उसे कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। वहीं जो इंसान आंवले से अर्घ्य देता है उसे सुख और जो केले से देता है उसे आभूषणों की प्राप्ति होती है। इसके बाद नौवें दिन विधि हवन करना चाहिए। इस व्रत के दौरान जो कुछ दान दिया जाता है उसका करोड़ों गुना फल मिलता है। ब्राह्मण की बेटी को विधि और फल बताने के बाद देवी अंतर्ध्यान हो गईं।