- 17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू हो रहे हैं
- इस बार मां घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं
- इस बात का हर राशि पर कुछ न कुछ प्रभाव होगा
नवरात्रि के प्रथम दिन चन्द्रमा तुला राशि में रहेगा। चन्द्रमा एक राशि में सवा दो दिन रहता है। गुरु धनु में, शनि मकर में, मंगल मीन में, राहु वृष में, शुक्र सिंह में व सूर्य तथा बुध तुला राशि में स्थित है। केतु वृश्चिक राशि में रहेगा। इस नवरात्रि में वृष व तुला राशि के लोग विशेष लाभ में रहेंगे लेकिन स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना होगा। मेष व कर्क राशि के जातक धन की प्राप्ति करेंगे। मिथुन व सिंह के लोग जॉब में प्रगति करेंगे। सभी राशियों के लोग धार्मिक अनुष्ठान का पुण्य प्राप्त करेंगे।
आइए अब जानते हैं प्रत्येक राशियों पर ग्रहों का विस्तृत अध्ययन (Navratri Rashifal 2020)
- मेष- जॉब में प्रगति रहेगी। व्यवसाय में आय प्राप्ति के नए स्रोत भी बनेंगे। बड़े भाई का सहयोग ले सकते हैं। स्वास्थ्य पहले से बेहतर रहेगा। राजनीतिज्ञ सफल रहेंगे। लाल व सफेद रंग शुभ है। माता दुर्गा की नियमित पूजा करें। किसी विशेष कार्य सिद्धि के लिए सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का 108 पाठ करें।
- वृष- यह पावन समय आपके अनुकूल हैं। वाहन या मकान खरीद सकते हैं। जॉब में लाभ होगा। किसी धार्मिक यात्रा की पूरी योजना बन जाएगी। हरा व नीला रंग शुभ है। दुर्गासप्तशती पढ़ते रहें। अन्न का दान करें। सप्तश्लोकी दुर्गा का 108 पाठ करें।
- मिथुन- धार्मिक अनुष्ठान से लाभ होगा। आपके मन में कई दिनों से चली आ रही व्यवसाय सम्बन्धी योजनाएं अपना पूर्ण रूप लेंगी। कोई रुका कार्य पूर्ण हो सकता है। हरा रंग शुभ है। माता के 108 नाम का नियमित 09 बार जो करें। माता का आशीर्वाद लेते रहें।
- कर्क- व्यवसाय सम्बन्धित रुके कार्यों को पूर्ण करने में सफल रहेंगे। सन्तान के विवाह सम्बन्धित निर्णय लेंगे। जॉब से सम्बन्धित कार्यों में व्यस्त रहेंगे। शिक्षा तथा प्रतियोगिता में सफलता की प्राप्ति होगी। राजनीतिज्ञ सफल रहेंगे। पीला रंग शुभ है। आय प्राप्ति के स्रोत बढ़ेंगे। दुर्गासप्तशती का नियमित पाठ करें।
- सिंह- स्वास्थ्य पहले से बेहतर होगा। सूर्य व गुरु लाभान्वित कर सकते हैं। नारंगी व सफेद रंग शुभ है। कई रुके कार्य को पूर्ण करने में सफल रहेंगे। माता दुर्गा जी की पूजा करते रहें। अन्न दान करें। छात्र सफल रहेंगे। प्रातःकाल ब्रम्हमुहूर्त में रामरक्षास्तोत्र का पाठ करें।
- कन्या- ग्रहों का प्रभाव आर्थिक स्थिति के लिए बेहतर रहेगा। माता पिता का आशीर्वाद लें। धन का सदुपयोग धार्मिक कार्यों में होगा। पीला रंग शुभ है। श्री रामचरितमानस का प्रतिदिन पाठ करें तथा 09 दिवस में उसको सम्पूर्ण कर हवन करें। दान से लाभ मिलेगा।
- तुला- जॉब में कार्यों की अधिकता व नवीन उत्तरदायित्व को लेकर आनन्द में रहेंगे। शुक्र व चन्द्रमा आर्थिक लाभ प्रदान करेंगे। माता दुर्गा जी की पूजा करते रहें। धन का आगमन होगा। हरा रंग शुभ है। प्रतिदिन माता का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें। सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का नियमित 09 पाठ करें।
- वृश्चिक- व्यवसाय में शुभ लाभ है। धार्मिक अनुष्ठान से प्रसन्न रहेंगे। जमीन या वाहन खरीद सकते हैं। नारंगी रंग शुभ है। किसी रुके कार्य या धन की प्राप्ति हो सकती है। दुर्गासप्तशती का पाठ करते रहें। माता काली का आशीर्वाद लें। अन्न दान करें। सप्तश्लोकी दुर्गा का 108 पाठ करें।
- धनु- व्यवसाय में नवीन कार्य के लिए समय अनुकूल है। रुके कार्य पूर्ण होना प्रारम्भ हो जाएगा। किसी सन्त के आगमन से खुश रहेंगे। गुरु के आशीर्वाद का लाभ लें। नारंगी रंग शुभ है। माता के 32 नाम का प्रतिदिन जप के साथ सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का 09 बार पाठ करें।
- मकर- गृह निर्माण का शुभारंभ कर सकते हैं। राजनीतिज्ञ उन्नति करेंगे। नीला रंग शुभ है। माता दुर्गा की पूजा करते रहें। अन्न दान करें। जॉब में प्रगति होगी। आपका आत्मबल बहुत कार्य करेगा। प्रतिदिन प्रातःकाल दुर्गासप्तशती का श्रद्धापूर्वक पाठ करें।
- कुम्भ- यह 09 दिन बहुत ही शुभ तथा सफलता भरा होगा। कोई रुका कार्य प्रारंभ होगा। नीला रंग शुभ है। राजनीति करने वालों को इस समय बंगलामुखी अनुष्ठान का लाभ मिलेगा। प्रातःकाल ब्रम्हमुहूर्त में रामरक्षास्तोत्र का पाठ करते रहें।
- मीन- माता दुर्गा की नियमित पूजा करें। इन 09 दिनों में धार्मिक अनुष्ठान में व्यस्त रहेंगे। धन का आगमन होगा। राजनीतिज्ञ लाभान्वित होंगे। लाल रंग शुभ है। जॉब में प्रगति होगी। कोई रुका कार्य सम्पन्न हो सकता है। प्रतिदिन दुर्गासप्तशती का पाठ करें। बगलामुखी अनुष्ठान बहुत लाभकारी रहेगा।
नवरात्र में करें संध्या आरती (Navratri Sandhya Aarti)
संध्या आरती देवी की रोज की जाने वाली आरती होती है, लेकिन इस आरती को विशेष तरीके से किया जाता है। देवी के समक्ष ज्योत जलाने के बाद देवी का पुन: श्रृंगार कर पूजा की जाती हैं, इसके बाद धूप से आरती की जाती है। यदि पंडालों में ये आरती होती है तो देवी मां को वस्त्र, लाल फल, पुष्प चावल,मेवा और गहने भी अर्पित करने के बाद संगीत, शंख, ढोल, नगाड़ों, घंटियों और नाच-गाने के बीच संध्या आरती की रस्म पूरी की जाती है। इस दिन जिस देवी मां का दिन होता है उस दिन उनकी आरती गाई जाती है।