- निर्जला एकादशी का व्रत 2 जून को इस बार पड़ रहा है
- शास्त्रों में इस व्रत की बड़ी महिमा गाई गई है
- इस व्रत के विधि विधान का यथासंभव पालन करना चाहिए
नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के मुताबिक एक साल में 24 एकादशी आती हैं। महीने में दो यानी 15 दिन में एक एकादशी। इन सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2020) सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है जिसके बारे में कहा गया है कि यह सबसे महात्वपूर्ण और फलदायी है। ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी को करने से 24 एकादशी का फल प्राप्त होता है। इस साल निर्जला एकादशी 2 जून को पड़ रही है।
इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। निर्जला यानी इस दिन जल भी नहीं पिया जाता। यानी इस एकादशी को बिना जल के ही किया जाता है इसलिए यह एक कठिन एकादशी भी मानी जाती है। क्योंकि बेहद गर्मी में जो व्रती होते हैं वो बिना पानी पिए इस व्रत को करते हैं। जो भी इंसान इस व्रत को करता है उसे पूरे 24 एकादशियों के व्रत का फल मिलता है। ज्योतिषाचार्च पंडित सुजीत जी महाराज के अनुसार निर्जला एकादशी पर इंसान को कुछ कामों को करने से बचाना चाहिए।
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है
सालभर में सभी 24 एकादशियों में सबसे बड़ी, महत्वपूर्ण और कठिन एकादशी निर्जला एकादशी मानी जाती है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन आने वाली निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि महाभारत काल में इसे भीम के किए जाने का वर्णन मिलता है । दरअसल इस व्रत की खासियत यह है कि यह कई विधि विधानों के बीच बिना जल के किया जाता है।
निर्जला एकादशी के दिन क्या न करें
- यदि आप रह सकते हैं तो आज जल का सेवन नहीं करें।निर्जला का मतलब ही है बिना जल का।
- यदि जल का सेवन करते हैं तो अन्न हर्गिंज नहीं ग्रहण करें। फलाहार रहें।
- सुबह पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम का पाठ जरूर करें।
- बालक, वृद्ध और रोगी व्रत न रहें।
- घर में चावल न बनाएं।
- झूठ बोलने और हिंसा करने से बचें।
- मन, वचन और कर्म से किसी को दुख न दें। मनसा,वाचा कर्मणा खुद को शुद्ध करें
- इस दिन सात्विक विचार रखें।
- यदि आप कोई भी नशा करते हों तो आज उसे पूर्णतया त्याग का संकल्प लें।
- माता पिता को किसी प्रकरा का कष्ट मत दें।
- आज के दिन संभव हो तो गो दान करें।
- निर्जला एकादशी के दिन गंदगी हर्गिज ना करें।
- इस दिन कोई भी गरीब व्यक्ति दरवाजे से भूखा मत जाय।
- निर्जला एकादशी को कोई व्यक्ति आपके घर से प्यासा नहीं लौटे।
- घर की छत पर और दरवाजे पर जल की व्यवस्था कराएं।
- श्री हरि की निंदा नहीं सुनें। यदि कहीं पर हरि निंदा होती है तो वह स्थान छोड़ दें और वहां से उठ जाएं।