- निर्जला एकादशी के व्रत में पानी पीना वर्जित होता है
- यह भी मान्यता है कि निर्जला एकादशी 24 एकादशी के बराबर फलदाई होता है
- एकादशी भगवान विष्णु का सबसे प्रिय है
Nirjala Ekadashi 2022 Upay: जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व होता है। हर साल 24 एकादशी पड़ती है। जिनमें से निर्जला एकादशी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। निर्जला एकादशी का व्रत कई लोग करते हैं। इसका व्रत बाकी व्रतों से थोड़ा कठिन होता है। निर्जला एकादशी के व्रत में पानी पीना वर्जित होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बिना पानी ग्रहण किए व आहार खाए इस व्रत को रखने से व्यक्ति की सारी मनोकामना पूरी होती है। यह भी मान्यता है कि निर्जला एकादशी 24 एकादशी के बराबर फलदाई होता है। एकादशी भगवान विष्णु का सबसे प्रिय है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। निर्जला एकादशी व्रत के दिन कुछ महत्वपूर्ण अचूक करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इन लोगों के बारे में..
हथेलियों को देखकर इस मंत्र का करे जाप
निर्जला एकादशी के दिन सुबह उठकर हथेलियों को देख कर करें इस मंत्र का जाप करें- कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविंद, प्रभातेकरदर्शनम्।। फिर अपने दिन की शुरुआत करें। ऐसे करने से मनोकामना पूरी होती है व व्यक्ति के जीवन में सुख शांति बनी रहती है।
तांबे के लौटे से सूर्य को दें अर्घ्य
निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लेना चाहिए और स्नान करने से पहले पानी में गंगाजल जरूर डाल लेना चाहिए। इससे शरीर का शुद्धिकरण हो जाता है। स्नान करने के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य जरूर देना चाहिए। तांबे का लोटा शुभ माना जाता है।
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सूर्य को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का करें जाप
इसके अलावा सूर्य को अर्घ्य देने के दौरान इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए- ओम सूर्याय नमः ओम वासुदेवाय नमः ओम आदित्य नमः। इस मंत्र का जाप करने से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं और व्रत अच्छे से पूर्ण होता है।
पितरों व जरूरतमंदों को करें दान
मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत के दिन दान का काफी महत्व होता है। इस दिन वस्त्र, तिल, धन, फल आदि चीजें जरूरतमंद को जरूर दान करनी चाहिए। इससे पुण्य की प्राप्ति होती हैं। इसके अलावा इस दिन पितरों के नाम से भी दान जरूर करें।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)