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Malmas 2020 : आज से शुरू हो रहा है मलमास, जानें अधिक मास से जुड़ी हर एक बात और नि‍यम

Updated Sep 18, 2020 | 08:25 IST

Every thing related to Malmas: 18 सितंबर से मलमास शुरू हो रहा है। मलमास से जुड़ी बहुत सी बातें आम लोग नहीं जानते। तो आइए आपको अधिकमास से जुड़ी हर एक बातों से परिचित कराएं।

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Every thing related to Malmas, मलमास से जुड़ी हर एक बात
मुख्य बातें
  • मलमास में भगवान विष्णु के सभी अवतारों की पूजा करनी चाहिए
  • श्रीमद्भागवत के साथ ही विष्णु पुराण आदि को पढ़ना शुभ फल देता है
  • दान पुण्य और धार्मिक कार्य मलमास में अधिक से अधिक करना चाहिए

अधिकमास के कारण इस बार अश्विन मास दो बार हो रहा है और यही वजह है कि पितृपक्ष खत्म होते ही नवरात्रि नहीं शुरू हुई। नवरात्रि अब एक महीने बाद शुरू होगी। अधिकमास इस बार 18 सितंबर से शुरू हो कर 16 अक्टूबर तक होगा। ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद हो रहा है। अधिकमास से जुड़ी कई ऐसी धार्मिक बातें हैं, जिनके बारे में लोगों को जानकारी कम होती है। अधिकमास में भले ही कोई शुभकार्य नहीं किया जाता, लेकिन धार्मिक कार्य अधिक से अधिक करने चाहिए। अधिकमास को पुरुषोत्तम मास इसी कारण से कहा गया है। यह माह में भगवान विष्णु को सपर्मित होता है। तो आइए आपको अधिकमास से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताएं।

जानें, मलमास से जुड़ी बातें

1. अधिकमास में धार्मिक कार्यों का फल दोगुना मिलता है। अथर्ववेद में इसे भगवान का घर बताया गया है, 'त्रयोदशो मास इन्द्रस्य गृह:।'

2. अधिकमास के अधिपति देवता भगवान विष्णु माने गए हैं। इसलिए इस महीने में भगवान विष्णु के सभी अवतारों की पूजा करनी चाहिए। इससे सभी तरह के संकट मिट जाते हैं।

3. अधिकमास में श्रीमद्भगवतगीता, श्रीराम कथा वाचन, गजेंद्र मोक्ष कथा आदि का वाचन जरूर करें और श्रीविष्णु भगवान के श्रीनृःसिंह स्वरूप की उपासना करें। इससे सभी पापों से मुक्त हो कर मनुष्यर बैकुंठ को प्राप्त करता है।

4. पुरुषोत्तम मास में भगवान विष्णु का षोडशोपचार पूजन करने का विधान होता है। व्रत और पूजन के साथ दान-पुण्य करना चाहिए।

5. अधिकमास में 33 देवताओं की पूजा का विधान होता है। इसमें विष्णु, जिष्णु, महाविष्णु, हरि, कृष्ण, भधोक्षज, केशव, माधव, राम, अच्युत, पुरुषोत्तम, गोविंद, वामन, श्रीश, श्रीकांत, नारायण, मधुरिपु, अनिरुद्ध, त्रीविक्रम, वासुदेव, यगत्योनि, अनन्त, विश्वाक्षिभूणम्, शेषशायिन, संकर्षण, प्रद्युम्न, दैत्यारि, विश्वतोमुख, जनार्दन, धरावास, दामोदर, मघार्दन एवं श्रीपति जी मुख्य रूप से शामिल हैं।

6.मलमास में शालिग्राम की पूजा करने और उनके समक्ष घी का अखंड दीपक जलाना बहुत सी असाध्य मनोकामनाओं को पूरा कर सकता है।

7. प्रतिदिन जितना भी समय मिले उसमें 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादशाक्षर मन्त्र का जप करना चाहिए। साथ ही पुरुषोत्तम-माहात्म्य का पाठ जरूर करें।

8. गाय को रोज हरा चारा खिलाना बहुत ही शुभकर माना गया है।

9. अधिकमास में व्रत करने वाले को एक समय ही भोजन करने का नियम है। भोजन में गेहूं, चावल, जौ, मूंग, तिल, बथुआ, मटर, चौलाई, ककड़ी, केला, आंवला, दूध, दही, घी, आम, हर्रे, पीपल, जीरा, सोंठ, इमली, पान-सुपारी, कटहल, शहतूत, मेथी, सेंधा नमक आदि खाना चाहिए।

10. तामसिक भोजन खाना निषेध है। मांस, शहद, चावल का मांड़, उड़द, राई, मसूर, मूली, प्याज, लहसुन, बासी अन्न, शराब आदि लेने से बचें।

11. कोई भी शुभकार्य नहीं करने चाहिए। धर्म से जुड़े हर कार्य किए जा सकते हैं।  

12. अधिकमास में सर्वार्थसिद्धि योग 9 दिन, द्विपुष्कर योग 2 दिन, अमृतसिद्धि योग 1 दिन और पुष्य नक्षत्र 1 दिन होगा। इन दिनों में आप विवाह तय करना, सगाई करना, कोई भूमि, मकान, भूमि, भवन खरीदने जैसे काम के लिए केवल अनुबंध कर सकते हैं।

तो अधिकमास में धार्मिक कार्य के साथ ही आप दान-पुण्य अधिक से अधिक करें ताकि आपके सारे ही कष्ट दूर हो सकें।

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