- ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है
- सावन महीने की समाप्ति 12 अगस्त को होगी
- ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में शिव आराधना करते समय भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए
Shiva Panchakshara Stotra: सावन का पावन महीना चल रहा है। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना होता है। भक्त भी सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना में लीन हो जाते हैं। भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए मंदिरों में जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने पर हर मनोकामना पूरी होती है। इस साल सावन के महीने में चार सोमवार पड़े थे। सावन महीने की समाप्ति 12 अगस्त को होगी। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में शिव आराधना करते समय भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। सावन के आखिरी दिन पंचाक्षर मंत्र का जाप करने से हर पापों का नाश होता है। इससे भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। आइए जानते हैं भगवान शिव की पंचाक्षर मंत्र के बारे में।
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Shiva Panchakshara Stotra in Hindi : शिव पंचाक्षर स्तोत्र
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।
वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ।
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे 'न' काराय नमः शिवायः।
जानिए, क्या है पंचाक्षर मंत्र
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने कलयुग में समस्त पापों को दूर करने के लिए पंचाक्षर मंत्र 'ओम नमः शिवाय' की उत्पत्ति खुद की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंत्र को भगवान शिव का सबसे पहला मंत्र माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से सभी हर कष्ट से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के द्वारा किए गए पाप का नाश होता है। वहीं शिव पंचाक्षर स्त्रोत भगवान शिव की स्तुति के लिए लिखा गया था। इसमें भगवान शिव के स्वरूप एवं गुणों का बखान किया गया है। भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र के बाद शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा बनी रहती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)