बच्चों को किसी भी बात की गहराई को समझाने के लिए कहानी बहुत अच्छा माध्यम होता है। आपने देखा होगा कि यदि बच्चे किसी बात को नहीं समझा समझ रहे हो और उनके सामने उसी बात को कहानी के माध्यम से बताई जाए, तो वह उस बात को बड़ी ध्यान पूर्वक सुनकर उस काम को अच्छे से करते हैं।
ऐसे में पंचतत्र की कहानियां बच्चों के लिए अच्छी-अच्छी बातें सीखने का एक अच्छा जरिया बन सकता है। कहानी के माध्यम से बच्चें बहुत तरह की ज्ञानप्रद बातें सीख सकते हैं।
आज हम आपके बच्चों के लिए एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं, जिसे पढ़ कर वह सीख पाएंगे कि अपनी मूर्खता के कारण लोग अपने आप को कैसे चोट पहुंचाते है। तो आइए जाने रंगा सियार की पूरी कहानी।
एक बार की बात है। एक जंगल में एक सियार रहता था। वह बहुत दिनों से काफी भूखा था। भूख के मारे वह घूमते-घूमते जंगल से शहर की तरफ चला गया। जैसे ही वह शहर में घुसा उसे देखकर शहर के बहुत सारे कुत्ते उसके पीछे भुकते हुए दौड़ने लगें।
कुत्तों से बचने के लिए सियार जब भाग रहा था, तो रास्ते में उसे एक घर की खिड़की खुली हुई देखी और वह उस खिड़की से कूदकर अंदर घुसा। जैसे ही वह खिड़की के अंदर खुदा खिड़की के बगल में एक नीले रंग का पीपा रखा था। सियार उसी रंग के पीपे में गिर पड़ा और नीले रंग में रंग गया।
सियार घबराकर जल्दी से बाहर आ गया। जब सियार उस घर से बाहर निकला तो नीला रंग से रंगा हुआ देखकर कुत्ते भाग खड़े हुए। उसके बाद जब सियार नदी पर पानी पीने गया तो नदी में आपनी परछाई देखकर वह चौंक गया, वह समझ गया कि कुत्ते उसे देख कर क्यों डर रहे थे।
तभी उसके दिमाग में एक योजना आयी और उसने स्वयं को जंगल का राजा बनाने का सोच लिया। फिर उसने जंगल के सारे जानवर को बुलाकर कहा कि आज से मैं जंगल का राजा हूं, मेरी आज्ञा सबको मानी होगी। मेरे लिए रोज दिन सभी को भोजन लेकर आना होगा।
सभी जानवर उसकी आज्ञा मानकर उनकी सेवा करने लगें। इस तरह से कुछ समय तक सियार जंगल पर राज करता रहा। एक दिन अचानक जंगल में सियारों का एक झुंड ऊंचे स्वर में हुआं-हुआं करने लगा।
अपनी ही जाति की आवाज को सुनकर सियार भी उन लोगों के साथ हुआं- हुआं करने लगा। ऐसी आवाज सुनकर सभी जानवर एक साथ बोले यह कोई राजा नहीं है, यह तो अपना सियार है। इतना ही कह कर सभी जानवर सियार के पीछे भागे और उसे बहुत मारा।
सब ने बोला कि तुमने मुझे धोखा दिया है। सियार कितना भी अपने आप को बचाने की कोशिश करता रहा लेकिन जंगल के सभी जानवर उसे पीट-पीटकर मार दिए। ऐसी कहानी से हमें सीख मिलती है, कि हमें कभी भी अपने से बेवकूफ किसी को नहीं समझना चाहिए।