- पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि की पूजा की जाती है
- पापांकुशा एकादशी का व्रत पापों से मुक्ति दिलाता है
- यह एकादशी आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की तिथि को पड़ती है
Papankusha Ekadashi Vrat Katha 2021: पापांकुशा एकादशी व्रत हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष तिथि के एकादशी को मनाई जाती है। यह पूजा भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को विधिपूर्वक करने से भगवान श्री हरि बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं। यह व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाता है। धर्म के अनुसार यह व्रत मोक्ष का मार्ग खोलता है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत की कथा पढ़ने और सुनने से जीवन में किए गए पापों का नाश हो जाता है। इस व्रत में रात के वक्त सत्यनारायण भगवान का कीर्तन करना लाभकारी माना जाता है। इसे करने से कार्यों में सिद्धि मिलती है। यदि आप भगवान श्री हरि की भक्ति अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करना चाहते है, तो आप पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा पढ़ सकते हैं।
पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था। वह बहुत ही क्रूर था। वह अक्सर अपने जीवन में बहुत से लूटपाट और हत्या किया करता था। इस तरह की प्रवृत्ति होने के कारण जब उसके पापों का घड़ा भर गया, तब यमराज ने अपने दूत उसे ले जाने के लिए भेजा। यमराज की बात मानकर दूत ने उस क्रोधन नामक बहेलिया को लेने के लिए गया। दूत ने उसे आने का एक दिन का समय दिया।
अपने मृत्यु की खबर सुनकर वह बहेलिया काफी भयभीत हो गया। तब वह महर्षि अंगिरा की शरण में जाकर अपनी मृत्यु से बचने का उपाय पूछने लगा। उसकी बाते सुनकर महर्षि ने उसे आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत रखने को कहा। अपने प्राण की रक्षा के लिए क्रोध नामक बहेलिया ने विधि-विधान से भगवान विष्णु का पापांकुशा एकादशी व्रत करना शुरू कर दिया। उसके व्रत करने से भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए और उसे अपने किये गए पापों से मुक्ति मिल गई।